Haryana News: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अहम कदम उठाया है। अब दिल्ली की तरह हरियाणा में भी किसी भी पेड़ की कटाई करने से पहले वन विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। बिना अनुमति पेड़ काटे जाने पर वन संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्माना लगेगा। वन विभाग का कहना है कि इससे पेड़ों की सुरक्षा के साथ-साथ हरियाली बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
हरियाणा के कई हिस्सों में पहले पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम की धारा 4 लागू नहीं होने की वजह से पेड़ों की कटाई बड़ी तेजी से हो रही थी। शिकायतों के बावजूद वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई नहीं कर पा रहे थे। अब NGT के आदेश के बाद हरियाणा में कहीं भी पेड़ों की कटाई से पहले अनुमति लेना अनिवार्य हो गया है।
NGT के फैसले के तुरंत बाद वन विभाग ने अमल शुरू कर दिया है। इस नए नियम को सबसे पहले गुरुग्राम मंडल के अंतर्गत आने वाले जिलों—गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़—में लागू कर दिया गया है। इससे पहले जिन इलाकों में पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम की धारा 4 लागू थी, वहां ही अनुमति का प्रावधान था।
हालांकि, किसानों के लिए सात पेड़ों—पापुलर, शहतूत, सफेदा, उल्लू नीम, बकायन, बास और अमरूद—की कटाई पर यह नियम लागू नहीं होगा। इन पेड़ों को पहले की तरह बिना अनुमति काटा जा सकेगा।
कृष्णा अरावली फाउंडेशन के अध्यक्ष और सेवानिवृत मुख्य नगर योजनाकार प्रो. केके यादव ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़-पौधों को बचाना बेहद जरूरी है। सिर्फ नए पेड़ लगाने से काम नहीं चलेगा, उन्हें बचाने के लिए भी गंभीर प्रयास करने होंगे। अगर समय रहते पर्यावरण पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा।

















