Haryana News: हरियाणा सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करन के लिए सख्त हो गई है। सरकार ने विभिन्न मामलों में गुरुग्राम और कुरुक्षेत्र के बादशाहपुर के नायब तहसीलदार को निलंबित कर दिया है। बादशाहपुर के नायब तहसीलदार प्रमोद कुमार पर बिना एनओसी के रजिस्ट्री करने का आरोप है।
पिछले काफी समय से प्रमोद के खिलाफ राजस्व मंत्री विपुल गोयल और विभागीय अधिकारियों के पास शिकायतें आ रही थीं। वहीं, दस्तावेज उपलब्ध न कराने पर कुरुक्षेत्र के नायब तहसीलदार परमजीत को निलंबित कर दिया गया है। कुरुक्षेत्र के डीसी ने परमजीत को निलंबित करने की सिफारिश की थी। निलंबन के दौरान इन दोनों अधिकारियों को सोनीपत और अंबाला डीसी कार्यालय से अटैच किया गया है।
4 दर्जन अफसर सरकार के रडार पर
चर्चा है कि प्रदेश में राजस्व विभाग के करीब 4 दर्जन अफसर सरकार के रडार पर हैं, जिनकी अंदरूनी रिपोर्ट तैयार की गई है। बताया गया कि भ्रष्ट पटवारियों की सूची लीक होने के बाद से सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। सूत्रों की माने तो इन अफसरों के खिलाफ एक साथ कार्रवाई नहीं करके बल्कि अलग से कार्रवाई की जाएगी।

सरकार बरत रही सावधानी
पिछले महीने राजस्व और खुफिया विभाग की जांच में करीब 4 दर्जन राजस्व अफसरों को संलिप्त पाया गया था। इनमें नायब तहसीलदार और तहसीलदार स्तर के अधिकारी शामिल थे। विभाग की ओर से इन अफसरों की सूची तैयार की जा चुकी है, जिस पर धीरे-धीरे कार्रवाई शुरू हो गई है।
इन अफसरों के बारे में सरकार के पास खुफिया विभाग का जो इनपुट आया है। उसमें कई स्थानों पर गलत तरीके से रजिस्ट्रियां करने के तथ्य पाए गए हैं। साथ ही इनके पास आय से अधिक प्रॉपर्टी की भी जानकारी मिली है।
पटवारियों की लिस्ट लीक होने के बाद इस लिस्ट को लेकर सरकार सावधानी बरत रही है। इससे पहले भी सरकार की ओर से नियम-7 ए के उल्लंघन कर बिना एनओसी के रजिस्ट्रियों के मामले में तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और पटवारियों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं, लेकिन इन पर कभी बनती कार्रवाई नहीं की गई।
गठबंधन सरकार में रजिस्ट्री घोटाला बन चुका मुद्दा
पूर्व की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के पास रजिस्ट्री घोटाला सामने आया था जिसको लेकर विपक्ष ने काफी हंगामा भी किया था लेकिन उस दौरान मामले में संलिप्त अफसरों को कार्रवाई नहीं हो पाई थी। इन अफसरों पर हरियाणा नगरीय विकास एवं विनियमन अधिनियम की 1975 की धारा 7A के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्र घोषित होने के बाद भी रजिस्ट्री करने का आरोप था।
जबकि नियमों के तहत इस इलाके में जमीन की रजिस्ट्री या लीज पर लेने से पहले क्रेता को नगर योजनाकार विभाग से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC) लेना जरूरी होता है। इन जमीनों की सीधे रजिस्ट्री करना गैर कानूनी माना जाता है।
रजिस्ट्री घोटाले से जुड़े रहे तार
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सूत्रों के अनुसार, जो इनपुट आया है उसके तार रजिस्ट्री घोटाले से भी जुड़ रहे हैं। बताया गया कि इन अधिकारियों के नाम उन दागी अफसरों में शामिल हैं, जो कोविड काल में हुए रजिस्ट्री घोटाले में फंसे थे।
उस समय सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच समिति के निष्कर्षों पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने 34 तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के अलावा कानूनगो, लेखा परीक्षकों, रजिस्ट्री क्लर्कों और पटवारियों सहित 232 राजस्व अधिकारियों को भू-माफिया या रियल एस्टेट एजेंटों की सुविधा के लिए राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर करने के लिए दोषी ठहराया था।

















