हरियाणा: मानवता एक फिर तार तार हो गई। पिता ने अपनी नाबालिग बेटी को हवश का शिकार बना लिया था। नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रशांत राणा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पिता को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई।
साथ ही 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट के आदेश पर विधि प्राधिकरण दुष्कर्म पीडि़ता को साढ़े सात लाख रुपये आर्थिक सहायता भी देगाKHF: मानव सेवा से बढकर कोई सेवा नहीं: अर्चना सिंगरौल
जानिए क्या था मामला’
बता दे कि नाबालिग की मां की 2016 में मौत हो चुकी थी। इसके एक साल बाद पिता छेडछाड़ करने लगा। उसने तीन वर्ष तक दुष्कर्म किया। वह गभवर्ती हो गई। छात्रा ने इसकी जानकारी प्रशासन को दी। एनजीओ की देखरेख में ही उसने बच्ची को जन्म दिया।
सरकारी वकील हरकेश कुमार के अनुसार,अक्टूबर 2020 में महिला थाना में एक शिकायत दी गई थी कि बाप ने अपनी ही 15 वर्षीय बेटी के साथ तीन वर्ष तक दुष्कर्म किया। उसके गर्भवती होने पर राज खुला। पुलिस ने नाबालिग के पेट में पल रहे बच्चे का डीएनए टेस्ट कराया तो वह उसके पिता से मिल गया।INSO ने मांगो को लेकर IGU के कुलपति को सोंपा ज्ञापन, दी चेतावनी
अदालत ने सुनाई फांसी की सजा
करीब दो साल तक केस चला। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रशांत राणा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पिता को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई। सजा के आदेश देते हुए यह मामला पूरे हरियाणा में चर्चा का विषय बना हुआ है।