BJP – Congress in Haryana: 2019 में Haryana में 70.34 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि इस बार केवल 64 प्रतिशत ही मतदान हुआ है। कम मतदान करने ने सभी राजनीतिक पार्टियों को असमंज में डाल दिया है। ऐसे में इस बार परिणाम में बहुत कुछ बदलाव होने वाला है। राजनैतिक सलाहकारो ने इस बारे में काफी रोचक आइडिया दिया है।
सभी अपनी गणनाओं के अनुसार जीत का दावा कर रहे हैं। किसी को यह स्पष्ट नहीं है कि किस पार्टी को कितना फायदा हुआ या हानि हुई है कम या अधिक मतदान के कारण इस परिणाम में मिलावट आई है। यानि अब बार परिणाम भी चौकाने वाले की होगीें।
भाजपा को होग नुकसान: सर्वे टीमों का कहना है इस बार भाजपा को हरियाणा में नुकसान होगा वहीं कांग्रेस की बढत होती। 2019 में, जब Haryana में 70.34 प्रतिशत मतदान हुआ, तो भाजपा को 58.2 प्रतिशत मत मिला और भाजपा ने राज्य की सभी दस सीटों को जीत लिया।
कांग्रेस का हिस्सा 28.5 प्रतिशत रहा। उसी तरह, 2014 में, जब 71.45 प्रतिशत मतदान हुआ, तो भाजपा को सात सीटें मिलीं और मतदान हिस्सा 34.8 प्रतिशत रहा। हालांकि, 2014 के चुनावों में इस बार कम मतदान भाजपा के लिए आफत बन गया है।
कम मतदान से कितना लाभ कांग्रेस को
एमडीयू रोहतक एकेडेमिक अफेयर्स के पूर्व डीन, प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार ने कहा कि इस बार किसी भी लहर या उत्साह की अभाव के कारण, स्विंग वोटर भाजपा के पक्ष में नहीं गए हैं। इससे भाजपा को नुकसान हो सकता है। यह देखने में दिलचस्प होगा कि क्या विपक्ष को मिल रहा लाभ सीटों में परिणाम में परिवर्तित हो पाएगा या नहीं।
विपक्ष इससे लाभान्वित हो सकता है ?
उन्होंने कहा यह भी कहा है विपक्ष उन सीटों पर भी लाभ उठा सकता है जहां एक निकट प्रतियोगिता है। तीसरे उम्मीदवार मजबूत हैं, उन सीटों पर भाजपा को सीधा लाभ मिलेगा।
कांग्रेस को क्या मिलेगा फायदा
कांग्रेस कहती है कि इस बार चुनाव के परिणाम बहुत अधिक अच्छे होंगे। कांग्रेस के नेताओं ने दावा किया है कि वह राज्य में छह से 7 सीटों पर जीत का दावा कर रही है।
दूसरी ओर, पहले दो चुनावों में, 2009 में, जब मतदान 67.49 प्रतिशत था, तो कांग्रेस इससे सीधा लाभ देखी थी। कांग्रेस का मतदान हिस्सा 41.8 प्रतिशत था और राज्य में नौ सीटें जीती थीं। पहले 2004 में, जब मतदान 66.72 प्रतिशत था, तब भी कांग्रेस ने नौ सीटें जीती और 42 प्रतिशत मत मिले थे।