Political News Haryana: हरियाणा में करीब छह दशक से भजनलाल परिवार का अभेद दुर्ग कहे जाने वाले हिसार लोकसभा क्षेत्र के आदमपुर का किला ढह गया है। विधायक होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। सीट के हारने ही अब बिश्नोई परिवार पर सकंट छा गया है।
बता दे कि हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय चौधरी भजनलाल 1968 में पहली बार विधायक बने थे। उसके बाद से भजनलाल परिवार ही आदमपुर से हमेशा जीतता ही रहा था। उनकी राजनीतिक विरासत को उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई kuldeep bishnoi आगे बढ़ा रहे हैं।
Political News Haryana: भजन लाल बिश्नोई (6 अक्टूबर 1930 – 3 जून 2011) एक राजनीतिज्ञ और भारतीय राज्य हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री थे। वह पहली बार 1979 में मुख्यमंत्री बने, 1982 में दोबारा चुने गए और 1991 में चुनाव जीतकर तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। उन्होंने राजीव गांधी सरकार में कृषि मंत्री और पर्यावरण एवं वन मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
इतना ही उनके बेटे भव्य बिश्नोई 2022 में बीजेपी की ओर से आदमपुर उपचुनाव में जीत हासिल कर विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव में आदमपुर से रणजीत चौटाला को जीत दिलाने की पूरी जिम्मेदारी कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे बीजेपी विधायक भव्य बिश्नोई पर थी। लेकिन इस बार वह आस टूट गई है। यानि इस बार 56 साल का किला ढह गया है।
हाथ जोड़ना भी काम नहीं आया
हिसार लोकसभा सीट से रणजीत चौटाला को टिकट मिलने पर शुरूआत में बिश्नोई परिवार ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी, लेकिन बाद में पहले पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और फिर सीएम नायब सैनी से मुलाकात के बाद कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे भव्य बिश्नोई चुनाव प्रचार अभियान में शामिल हुए. आदमपुर में राजनीतिक जीवन पर हार के खामियाजे की स्थिति को भांपते हुए कुलदीप बिश्नोई ने बार- बार लोगों के सामने हाथ जोड़कर बीजेपी के समर्थन में वोटों की अपील की.
जानिए किसको कितने मिले मत
हिसार से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार रणजीत चौटाला को आदमपुर में 53,156 वोट ही मिले, जबकि कांग्रेस के जयप्रकाश उर्फ जेपी 59,544 वोट मिले। इस तरह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जयप्रकाश ने 6,384 वोट से आदमपुर में जीत हासिल कर भजनलाल के अभेद्य दुर्ग को ढहा दिया। अब हरियाणा में यह सीट भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
राजनीति को लेकर विश्नाई परिवार में मंडराए संकट के बादल
यदि कुलदीप बिश्नोई रणजीत चौटाला को आदमपुर से जीतवा देते तो उनके बेटे भव्य बिश्नोई को हरियाणा मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती थी। लेकिन उसकी हार से ही अब भजनलाल का किला ढह गया हैं
आदमपुर में बीजेपी प्रत्याशी की हार ने कुलदीप बिश्नोई के लिए राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है। इसका खामियाजा उन्हें बीजेपी में रहकर ही भुगतना पड़ेगा।