Bank Locker Rule: बाढ़ या प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होता रहता है। ऐसे में संपति को बचाना हर आदमी चाहता है। इसी के चलते देश में लाखों लोग सोना, चांदी और कैश को सुरक्षित रखने के लिए बैंक लॉकर का इस्तेमाल करते हैं।Alert: बैंकों में सुरक्षित नहीं है लोकर, इस बैंक के 32 लोकरोंं में सेंघ ?
भारतीय बैंकों की ये तिजोरियां लोगों की संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए हैं। हालांकि चोरी, आग, बाढ़ या प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान हो सकता है। ऐसी घटनाओं की स्थिति में भारतीय बैंकों के नियम को समझना बेहद जरूरी है कि क्या अपकी संपति मिलेगी या नही?
जानिए कितनी होेगी रिवकरी
अगर आग, चोरी, डकैती, इमारत ढहने या उसके कर्मचारियों की ओर से की गई धोखाधड़ी जैसी घटनाओं होती है बैंक की देनदारी सुरक्षित है। बता दे कि जमा लॉकर में सालाना किराये का केवल 100 गुना के बराबर की देनदारी होगी।AUTOMOBILE: पैट्रोल व इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहन की छुट्टी, अब सीएनजी की बाइक मचाएगी धूम
यहां भी आपको मिलने वाला मुआवजा बहुत कम है। मान लीजिए अगर सालाना लॉकर शुल्क एक हजार रुपये है तो बैंक केवल एक लाख रुपये देगा, चाहे आपके लॉकर में कितनी भी मूल्यवान संपत्ति हो। साफ जाहिर कि किसी आपतकालीन स्थिति में अगर कोई नुकसान होता है उसकी भरपाई न के बराबर ही होती है।
आपता होने पर कौन है जिम्मेदार
अगर बैंक लॉकर में आपका कीमती सामान बाढ़, भूकंप, दंगा, आतंकवादी हमले, ग्राहक की लापरवाही आदि के कारण चोरी या क्षतिग्रस्त हो जाता है तो सबसे पहली उम्मीद बैंक से होगी कि वह इस नुकसान की भरपाई करे, लेकिन ऐसा नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, बैंकिंग यूनिट अपने लॉकर में रखे कीमती सामान के लिए जिम्मेदार नहीं है।AUTOMOBILE: पैट्रोल व इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहन की छुट्टी, अब सीएनजी की बाइक मचाएगी धूम