गुरुग्राम : दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर कई जगह हेलीपैड बनाए जाएंगे। यह मुख्य रूप से एक्सप्रेस-वे पर संभावित हादसों को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे। इससे एयर एंबुलेंस (हेलीकाप्टर)की सेवा आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। सभी हेलीपैड को किसी न किसी ट्रामा सेंटर से जोड़ा जाएगा। यही नहीं पूरे रूट पर यात्रियों के लिए 94 प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
एक्सप्रेस-वे पर वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से चलाए जा सकेंगे। हादसा होने पर जल्द से जल्द लोगों को ट्रामा सेंटर पहुंचाया जा सके, इसके लिए हेलीपैड बनाने के ऊपर जोर दिया जाएगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के निदेशक (सोहना) सुरेश कुमार कहते हैं कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे अपने आप में अनूठा होगा। रास्ते में यात्रियों को किसी भी स्तर पर परेशानी न हो, इसके लिए किनारे में कई तरह की सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इनमें रिजोर्ट, रेस्टोरेंट, डोरमैट्री, अस्पताल, फूड कोर्ट एवं पेट्रोल पंप आदि शामिल होंगे। बता दें कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की लंबाई 1,380 किलोमीटर होगी। यह आठ लेन का एक्सेस कंट्रोल ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे होगा। राजस्थान के दौसा तक के भाग का निर्माण मार्च 2022 तक एवं आगे तक के भाग का निर्माण मार्च 2023 तक पूरा होना है। निर्माण निर्धारित समय के दौरान हो इसके लिए केंद्रीय भूतल सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लगातार दो दिनों तक कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि एक्सप्रेस-वे पर हेलीपैड का प्रविधान इस तरह से किया जाए, जिससे कहीं भी हादसा होने पर कम से कम समय में यात्री को ट्रामा सेंटर तक पहुंचाया जा सके। इसे ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है। बताया जाता है कि कहीं-कहीं दोनों तरफ आमने-सामने हेलीपैड बनाए जाएंगे।