बडा हादसा: भिवानी में पहाड़ खिसकने से 28 श्रमिक दबे: 4 शव निकाले, राहत कार्य जारी

शुक्रवार को किया था काम शुरू, शनिवार नए साल पर छाया मातम हरियाणा: भिवानी जिले में तोशाम इलाके के खानक और डाडम एरिया में अरावली के पहाड़ों में बड़े पैमाने पर खनन होता है। यहां का पत्थर हरियाणा के अलावा राजस्थान भी जाता है। प्रदूषण की वजह से दो महीने पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यहां खनन पर रोक लगा दी थी। ये रोक हटने के बाद शुक्रवार को ही दोबारा खनन कार्य शुरू हुआ और शनिवार सुबह 8:30 बजे बडा हादसा हो गया।
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जिस समय पहाड़ दरका, उस समय यहां आधा दर्जन से ज्यादा पोकलेन मशीनों के जरिये खनन किया जा रहा था। पत्थरों की ढुलाई के लिए कई डंपर और ट्रॉले वहां मौजूद थे। ये सब पहाड़ के बड़े पत्थरों के नीचे आ गए।
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बडे पत्थर बने बाधा: पहाड़ दरकने से गिरे मलबे में कई हजार टन के तीन बड़े-बड़े पत्थर हैं। इन पत्थरों को हटाने के लिए जिला प्रशासन या एनडीआरएफ टीमों के पास कोई मशीनरी नहीं है। जो मशीनें मौके पर उपलब्ध हैं, उनकी क्षमता इतनी नहीं है कि इन पत्थरों को हटाना तो दूर हिला भी सकें। इन पत्थरों को ब्लास्ट करके भी नहीं तोड़ा जा सकता क्योंकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इनके नीचे कितने लोग दबे हैं और उनमें से कोई जिंदा है या नहीं? bhiwadi ड्रिल मशीनों से पत्थर तोड़ने की कोशिश: घटना की सूचना मिलते ही भिवानी जिला और पुलिस प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंची और राहत व बचाव कार्य शुरू कराया। पहाड़ से गिरे पत्थरों को हटाकर लोगों को तलाशा जा रहा है। प्रशासनिक टीमें फिलहाल ड्रिल मशीनों के जरिये पत्थरों को तोड़ने का काम कर रही हैं मगर इसमें बहुत ज्यादा वक्त लग रहा है।
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पत्थरों के नीचे दबे लोगों की संख्या को लेकर भी कोई स्पष्ट आंकड़ा न तो जिला प्रशासन बता पा रहा है और न ही मौके पर खनन करवा रहा ठेकेदार। खनन विभाग के अधिकारियों के पास भी ये जानकारी नहीं है कि शनिवार सुबह यहां कितने लोग खनन कार्यों में लगे थे।   jp dalal कृषि मंत्री दलाल और SP मौके पर पहुंचे: हादसे की जानकारी मिलने के बाद हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल मौके पर पहुंचे। उनके साथ भिवानी के SP अजीत सिंह शेखावत भी रहे। तहसीलदार रविंद्र कुमार ने बताया कि दोपहर 1 बजे तक पत्थरों के नीचे से तीन बॉडी निकाल ली गईं। तीनों मृतक छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मजूदर हैं। एक बॉडी उसके बाद निकाली गई। भिवानी के सिविल सर्जन रघुबीर शांडिल्य ने बताया कि हादसे में काफी संख्या में कैजुअल्टी होने की आशंका है। दो दिन पहले ही मिला बिजली कनेक्शन: भिवानी जिले में तोशाम इलाके के खानक और डाडम एरिया में अरावली के पहाड़ों में बड़े पैमाने पर खनन होता है। यहां का पत्थर हरियाणा के अलावा राजस्थान भी जाता है। प्रदूषण की वजह से NGT ने 2 महीने पहले यहां खनन पर रोक लगा दी। उसके बाद जिला प्रशासन ने इलाके में खनन बंद करवा दिया।
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खनन कार्यों से जुड़े लोग काफी समय से धरना-प्रदर्शन कर यहां खनन दोबारा शुरू करने की मांग उठा रहे थे। खनन पर लगी रोक हटने और NOC मिलने के बाद दो दिन पहले ही प्रदूषण विभाग ने यहां खनन के लिए बिजली कनेक्शन जारी किया था। बड़े पैमाने पर ब्लास्ट की आशंका: NGT ने गुरुवार को ही इस इलाके में खनन दोबारा शुरू करने की अनुमति दी। NGT की अनुमति के बाद शुक्रवार से खनन कार्य शुरू हो गया। दो महीने खनन बंद रहने की वजह से मार्केट में भवन निर्माण सामग्री की किल्लत हो गई थी। आशंका है कि इस किल्लत को जल्दी दूर करने के लिए यहां बड़े स्तर पर ब्लास्ट किए गए और इसी वजह से पहाड़ दरक गया।   cm 11 फोरेस्ट एरिया की ओर से दरका पहाड़: इस बीच खानक-डाडम क्रशर एसोसिएशन के चेयरमैन मास्टर सतबीर रतेरा ने दावा किया कि जिस समय हादसा हुआ, उस समय यहां कोई खनन कार्य नहीं चल रहा था। अरावली का ये खनन क्षेत्र दोनों ओर से फोरेस्ट एरिया से घिरा है। फोरेस्ट एरिया से ही हजारों टन के पत्थर दरककर खनन क्षेत्र की तरफ आया। हालांकि रतेरा इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि अगर खनन कार्य नहीं चल रहा था तो यहां इतनी बड़ी संख्या में मशीनें, ट्रॉले, डंपर और मजदूर क्या कर रहे थे?