Haryana: रेवाडी को सैनिकों की खान क्यों कहते हैं, जानिए पूरा इतिहास ?

रेवाडी को सैनिकों की खान क्यों कहते हैं, जानिए पूरा इतिहास
रेवाडी को सैनिकों की खान क्यों कहते हैं, जानिए पूरा इतिहास

भारतीय सेना में हर साल रेवाड़ी से जाते हैं सबसे ज्यादा सैनिक

Haryana: हरियाणा में रेवाडी जिला भी काफी चर्चा में रहा है। रेवाडी को नवंबर, 1989 को हरियाणा सरकार द्वारा रेवाड़ी को एक जिले का दर्जा दिया गया था। इसकी भौगोलिक सीमाओं के उत्तर में जिला झज्जर, पश्चिम में महेंद्रगढ़ जिला और पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशा में गुड़गांव जिला है। किसने की स्थापना: राजा ने अपनी बेटी के नाम पर “रेवा वाडी” नामक एक शहर की स्थापना की। बाद में रीवा का विवाह भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम के साथ हुआ और राजा ने उनकी बेटी को दहेज के रूप में “रेवा वाडी” शहर दान में दे दिया। बाद में रीवा वाड़ी शहर रेवारी यानी रेवाडी बन गया।  

भारतीय सेना में हर 10वां सैनिक हरियाणा का है. यही वजह है कि हरियाणा को भारत का टेक्सास कहा जाता है और इसकी बानगी देखने को मिली है रेवाड़ी के जाटूसाना गांव में. वैसे तो ये गांव दिखने में बाकी गांवों के जैसा ही है, लेकिन इस गांव की एक बहुत बड़ी खासियत है और वो है देश सेवा.

हर युद्ध में इस गांव के जवानों ने दिया योगदान जाटूवास गांव के सैनिक पहले और दूसरे विश्व युद्ध में भी शहीद हुए हैं. शायद ये देश में अकेला ऐसा गांव होगा जहां के सौनिकों ने 1962, 65 और 71 की जंग में सीमा पर देश के लिए मोर्चा संभाला है.

रेवाडी को सैनिकों की खान क्यो कहते है: मुख्य अतिथि ने कहा कि वीर भूमि रेवाड़ी का इतिहास वीरता की गाथाओं से भरा है। रेवाड़ी के वीर हेमू प्रारंभ में शेरशाह सूरी को अनाज और बारूद सप्लाई करते थे। उन्होंने मुगलों की कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे अपनी विशाल सेना का गठन किया और दुश्मनों को हराते हुए 1556 में पहले हिदू सम्राट बने। इसके बाद अकबर को टक्कर देते हुए युद्ध में सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य वीर गति को प्राप्त हुए।
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आज पूरे देश में सम्राट हेमचंद्र विक्रादित्य प्रथम हिदू सम्राट का नाम बड़े गौरव से याद किया जाता है। महिला उपप्रधान निशा सीकरी, पूर्व नगर प्रमुख सरोज भारद्वाज, समाजसेवी रीटा गेरा ने कहा कि रेजांग ला का युद्ध रेवाड़ी के वीर सैनिकों की गाथा का बखान करता है। हमारे मुट्ठी भर सैनिकों ने बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों के दांत खट्टे कर देश का गौरव बढ़ाया इसलिए रेवाड़ी को सैनिकों की खान भी कहा जाता है। कार्यक्रम में समाजसेवी डा. बलबीर अग्रवाल, हरबंस लाल खुराना, प्रो. सीएल सोनी, बाल कलाकार संस्कृति को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया। प्रो. महावीर सिंह यादव की ओर से सभी को रेवाड़ी का इतिहास पुस्तक भेंट की गई। कार्यक्रम में समाजसेवी राजेंद्र गेरा, पुरुषोत्तम नंदवानी, उपप्रधान परवीन गुप्ता, शिक्षाविद देवेंद्र, प्राचार्य राजेंद्र सिंह यादव, सोनिया कपूर, ओजस्वी, पूर्वांशी, कपिल कपूर, प्रीति, सतपाल शास्त्री आदि मौजूद रहे। शांति से रहने के लिए रेवाडी एक अच्छी जगह है। पर्यावरण प्रदूषण मुक्त है। आप रेवाडी में टियर-3 शहर के अनुभव का आनंद ले सकते हैं। शीर्षक विवरण जनसंख्या 900,332 पुस्र्ष 474,335 महिला 425,997  

जाटूसाना गांव की शान हैं रिटायर मेजर TC Rao कोसली विधानसभा क्षेत्र के गांव जाटूसाना गांव के रहने वाले ताराचंद यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उनके परदादा आर्मी में हवलदार थे, उसके बाद उनके दादा के पिता और फिर उनके पिता ने आर्मी में रहकर देश सेवा की है. जब एक के बाद एक पीढ़ी ने देश सेवा के लिए आर्मी को चूना तो फिर ये छोटा सा बालक ताराचंद यादव भला पीछे कहां रहता.

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10वीं की परीक्षा पास करने के बाद साल 1976 में भर्ती हुए डॉ. मेजर टीसी राव ने 1989 में चले ऑपरेशन पवन में बतौर प्लांनिग अधिकारी की भूमिका निभाई थी. वहीं 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भी पाकिस्तान के दांत खट्टे करने में उनका अहम रोल था.

बचपन से ही युवाओं के दिल में फौजी बनने का सपना इसके बाद मेजर टीसी राव आर्मी में रिटायर हो गए, लेकिन इसके बाद भी टीसी राव में देश सेवा का जुनून कम नहीं हुआ. उन्होंने अपने गांव में समाज सेवा शुरू की. साथ ही वो अब अपने जिले के युवाओं को आर्मी में जाने के लिए प्रेरित करते हैं. यहां का युवा भी अपने बुजुर्गों से प्रेरणा लेकर आर्मी में भर्ती होना चाहता है.

18 हजार 500 से ज्यादा जवान ऑन सर्विस भारतीय सेना में ऑन सर्विस 17 हजार 500 से ज्यादा जवान अपनी सेवा दे रहे हैं. भारतीय सेना के लिए साल के हर तिमाही में चरखी दादरी कार्यालय से भर्ती की जाती है. जिसमें रेवाड़ी जिले से प्रति हर साल 1400 से 1500 तक जवान भर्ती होते हैं.

जिले में 6000  रिटायर्ड जवान जिले में 5 हजार 848 जवान रिटायर होकर पेंशन ले रहे हैं. आंकड़ों के हिसाब से देश की आर्मी में रेवाड़ी जिले के 111 अधिकारी और 4 शहीदों की विधवाएं पेंशन का लाभ उठा रहीं हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान के भारतीय सेना के 20 जवान और 42 शहीदों की विधवाएं सेना भत्ते का लाभ ले रहीं हैं.