Haryana: पिछले कई दिनों से मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, जिसकी वजह से खेतों में नमी बढ़ गई है। यह नमी किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है, क्योंकि रबी फसल की तैयारी पूरी तरह से थम गई है। खेतों में जुताई और मिट्टी तैयार करने के लिए धूप की सख्त ज़रूरत होती है, ताकि मिट्टी भुरभुरी बने और बीज आसानी से जमें। लेकिन लगातार बदले मौसम और बादलों की वजह से खेत सूख नहीं पा रहे हैं। ऐसे में किसान बेसब्री से धूप निकलने का इंतज़ार कर रहे हैं, ताकि वे समय पर गेहूं की बुवाई कर सकें और फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित न हो।
रबी सीजन की सबसे महत्वपूर्ण फसल गेहूं की बुवाई इस समय देश के कई राज्यों—खासकर उत्तर भारत और मध्य प्रदेश—में तेज़ी से चल रही है। हालांकि हर क्षेत्र के मुताबिक किसान अलग-अलग किस्में चुनते हैं। सिंचाई-सुविधा वाले खेतों में एक तरह की वैराइटी पसंद की जाती है, जबकि बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में दूसरी। पिछले कुछ वर्षों में किसानों की सोच और बाजार की मांग, दोनों में बड़ा बदलाव आया है। अब किसान सिर्फ अधिक उपज देने वाली किस्में ही नहीं, बल्कि ऐसी वैराइटी भी चुन रहे हैं जो अधिक दाम दिला सके और स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी बेहतर हो। इसी बदलती सोच का नतीजा है कि ब्लैक व्हीट (काला गेहूं) का चलन तेजी से बढ़ने लगा है।
ब्लैक व्हीट की लोकप्रियता का राज़: औषधीय गुणों की भरमार
पिछले चार–पांच सालों में ब्लैक व्हीट की डिमांड जिस तेज़ी से बढ़ी है, उसने किसान और बाजार—दोनों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। वैज्ञानिकों के अनुसार काले गेहूं में एंथोसाइनिन नामक प्राकृतिक तत्व बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक होता है, जो शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है। ब्लैक व्हीट को दिल के दौरे, कैंसर, डायबिटीज़, एनीमिया, मानसिक तनाव, जोड़ों के दर्द और बढ़ती उम्र की कई समस्याओं में लाभदायक माना जाता है। यही वजह है कि बड़े शहरों में इसकी खपत कई गुना बढ़ चुकी है। हेल्थ-कॉन्शियस लोगों, जिम जाने वालों और डायबिटिक मरीजों के बीच इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
बाज़ार में दोगुना मुनाफ़ा, किसानों की बढ़ रही रुचि
जहां सामान्य गेहूं किसानों को सीमित दाम दिलाता है, वहीं ब्लैक व्हीट की कीमतें बाजार में 4,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं—जो कि सामान्य गेहूं की तुलना में लगभग दोगुनी है। यही उच्च लाभांश किसानों को इस विशेष किस्म की ओर आकर्षित कर रहा है। कई किसान अब अपनी जमीन का एक हिस्सा ब्लैक व्हीट के लिए अलग रखने लगे हैं, ताकि उन्हें बेहतर कमाई मिल सके। बढ़ती मांग, उच्च पोषण मूल्य और अधिक दाम—ये तीनों कारण मिलकर ब्लैक व्हीट को आने वाले वर्षों में एक बड़े कृषि ट्रेंड के रूप में स्थापित कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मौसम अनुकूल रहा और खेती का विस्तार इसी तरह चलता रहा, तो ब्लैक व्हीट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अहम भूमिका निभा सकता है।

















