100 साल तक सांग कला का जगाया था हरियाणाा में अलख
Haryana: सांग सम्राट व लोक कवि मास्टर नेकीराम की जयंती पर गांव जैतड़ावास स्थित स्मारक स्थल पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान मास्टर नेकीराम के व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा की गई। उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
लोक कला सांग के संरक्षण के लिए कई सुप्रसिद्ध लोक कलाकारों ने अहम भूमिका का निर्वहन किया है। जिले के गांव जैतड़ावास के रहने वाले स्व. मास्टर नेकीराम इन्हीं में से एक थे। इनका जन्म 6 अक्टूबर, 1915 में प्रसिद्ध सांगी मास्टर मूलचन्द व लाडो देवी के घर में हुआ।
संगीत में अपनी गहन रूचि के चलते बालक नेकीराम ने अल्पायु में ही अपने पिता से इस कला की तालीम लेनी शुरू कर दी। इनके पिता अपने समय के एक प्रभावी सांगी व लोककवि भी थे।Haryana
नेकीराम ने अपने गुरु गोपाल नाथ महाराज के आशीर्वाद से मात्र 14 वर्ष की अल्पायु में ही अपने पिता के सानिध्य में अपने पहले सांग भगत पूर्णमल का मंचन किया। मास्टर नेकीराम की प्रमुख विशेषता यह थी कि जैसे-जैसे रात बढती थी वैसे-वैसे उनकी आवाज भी बढती चली जाती थी।
100 साल तक सांग कला का जगाया अलख: सम्राट मास्टर नेकीराम साहित्य कला मंच के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि मास्टर नेकीराम अपने दौर के सर्वाधिक लोकप्रिय सांगी व लोक कवि रहे हैं। उनके पिता संगीताचार्य मास्टर मूलचंद, स्वयं मास्टर नेकीराम और उनके पुत्र मास्टर राजेंद्र सिंह ने सौ वर्षों तक लगातार सांग कला को ऊंचाई प्रदान की।
मास्टर नेकीराम ने 60 वर्षों तक इस कला का संरक्षण करते हुए जनहित के अनेक कार्य कराए। उनके इस योगदान को देखते हुए अन्य लोक कवियों की भांति मास्टर नेकीराम के नाम पर भी चौक का नाम रखने के साथ अकादमी पुरस्कार शुरू करनी चाहिए।Haryana
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भूप सिंह भारती ने बताया कि जल्द ही मास्टर नेकीराम की स्मृति में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
ये रहे मौजूद: इस अवसर पर चौधरी भूपेंद्र सिंह, भूप सिंह भारती, सरपंच प्रतिनिधि रामफल, शिवलाल, रामचंद्र, फूल सिंह, सुरेंद्र कुमार, रामनिवास, नरेंद्र कुमार, डॉ. मनु कुमार, बिल्लू, दिनेश, श्योचन्द, आलोक भांडोरिया, रत्नलाल, सुजाता और मास्टर नेकीराम मौजूद रहे।