Haryana News: राम भरासे है धारूहेड़ा में स्वास्थ्य सेवा, ईलाज के लिए तडफते रहे घायल

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200 से अधिक कपंनिया व 54 साल पुराने औद्योगिक कस्बे में सुविधाओं की दरकिनार Haryana News: धारूहेडा औद्योगिक कस्बे की लाइफ लोंग कंपनी में हुयै बलास्ट से कंपनी के सुरक्षा नियमों व धारूहेडा में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल कर रख दी है। 200 से अधिक कंपनिया व 54 साल पुराने औद्योगिक कस्बे में स्वास्थ्य सुविवाओ को लेकर कुछ नहीं है। न तो कोई बडा अस्पताल तथा न ही ईएसआई अस्पताल। ब्लास्ट के बाद घायल हुए श्रमिक ईलाज के तपडते रहे। life long 2 बता दे औद्योगिक कस्बा में 1970 से कंपनियां लगनी शुरू हुई थी। कस्बे में आज छोटी व बडी 200 से अधिक कपनियां स्थापित है। जिनमें कई कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर की भी शामिल है। इतनी ज्यादा कंपनियां होने के बावजूद मेडिकल सुविवाओंं का लेकर कोई विशेष प्रबंध नही है।   आस पास भी नहीं है कोई बडा हस्पताल: औद्योगिक कस्बे में श्रमिकों की मेडिकल सुविधाओ के लिए ईएसआई की ओर से डिस्पेंशरी व अस्पताल स्थापित किए जाते है। श्रमिको की सैलरी से कुछ मानेदय हर माह र्ईएसआई को भेजा जाता है। Boiler Blast : हरियाणा में बॉयलर ब्लास्ट, मौत का तांंडव, 50 से ज्यादा झुलसे औद्योगिक कस्बा होने के बावजूद कस्बे में कोई बडा अस्पताल नहीं है। नाम मात्र एक ​डिसपेंशरी बनाई है जिससे केवल ओपीडी सुविधा ही उपलब्ध है। वह भी किराये की बिल्डिंग पर चल रही है तथा केवल 9 से 5 बजे दवाईया मिली है। वहां पर एडमिट करने की सुविधा तक नहीं है। PHC DHR पीएचसी पर टिका है 300 कंपनियों की स्वास्थ्य सेवा: कस्बे में 1975 में रूरल डिपेंशरी स्थापित की गई थी। उसके बाद बिल्डिंग बनाककर 1998 यहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना दिया गया है। ऐसे में 300 कंपनियो की श्रमिकों के साथ कसबे की एक लाख आबादी की स्वास्थ्य सुविधा इसी पर टिकी हुई है। हाइवे पर स्थापित होने के चलते यहां बडा अस्पताल या ट्रामा सेंटर होना बहुत जरूरी है। ईलाज के तडफते रहे मरीज: हादसे में एक साथ इतने कर्मचारी घायल हो गए कि कंपनी प्रबधंन के हाथ पाव फूल गए। दूसरी कंपनियो से एबूंलेंस बुलाकर घायलो को अस्पताल भेजा गया है। सुविधाओ के अभाव में घायलों हो रैफर कर दिया गया है। ब्लास्ट से कई श्रमिको की खाल इस कदर झुलस गई है वे ईलाज के लिए तडफते नजर आए। Rewari के 10 कॉलेजों की Laboratories होगी चकाचक, इतना बजट हुआ मंजूर ? ………….. 5 AJAY JANGADAपिछले दस साल से कस्बे में 50 बेड के अस्पताल का इंतजार किया जा रहा है। अगर आज यहां अस्तपाल या ट्रामा सेंटर होता तो इन घायलों का ईलाज मिल जाता। जल्द से जल्द अस्पताल बनाने के लिए सीएमओ से मिला जाएगा। अजय जांगडा, उपचेयरमैन नपा धारूहेड़ा ……. DR JAI PARKASHबढती जनता के चलते यहां पर अस्पताल होना जरूरी है। पुलिस धारूहेडा थाने के पीछे 50 बेड के अस्पताल के ​जमीन फाईनल हो चुकी है। अप्रूवल के लिए चंडीगढ भेजी हुई। डा जय प्रकाश, पीएचसी प्रभारी धारूहेडा