Haryana: नगर निगम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब बिना सबडिविजन के प्रॉपर्टी आईडी नहीं बनाई जा सकेगी। किसी भी भवन मालिक को पहले अपनी संपत्ति का सबडिविजन कराना होगा और योजना शाखा से एनओसी (NOC) प्राप्त करनी होगी। इसके बाद ही संपत्ति को टुकड़ों में बेचने की अनुमति मिलेगी और तभी प्रॉपर्टी आईडी जेनरेट की जाएगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता लाई जा सके और सरकारी राजस्व की हानि को रोका जा सके।
संपत्ति आईडी निर्माण और सत्यापन का हाल
बुधवार को नगर निगम के आयुक्त ने आदेश जारी किया, जिसमें बिना सबडिविजन वाले प्लॉट्स के लिए प्रॉपर्टी आईडी बनाने पर रोक लगाई गई। जिले में कुल 7,50,000 प्रॉपर्टी आईडी हैं, जिनमें से केवल 1,00,000 आईडी ही सत्यापित हो सकी हैं। पिछले छह वर्षों में निगम ने केवल 20 प्रतिशत आईडी का सत्यापन किया है। ऐसे मामलों में, कई बिल्डर शुल्क बचाने के लिए सबडिविजन पूरा नहीं कराते और योजना शाखा से लाइसेंस नहीं लेते, जिससे सरकार का राजस्व भी प्रभावित होता है।
सरकारी राजस्व पर प्रभाव और निवासियों की समस्या
जब भूमि को दो या तीन टुकड़ों में बेचकर पंजीकृत किया जाता है, तो इसे पहले निगम की योजना शाखा द्वारा सबडिवाइड करना आवश्यक होता है। सबडिविजन शुल्क के माध्यम से सरकार को राजस्व प्राप्त होता है। बिना प्रॉपर्टी आईडी के, निवासियों को सीवर और पानी कनेक्शन लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। निगम ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल उन कॉलोनियों में सबडिविजन की अनुमति होगी जिन्हें योजना शाखा द्वारा नियमित किया गया है।
2019 की सर्वे और आगे की प्रक्रिया
2019 में यशी एजेंसी ने शहर में प्रॉपर्टी आईडी के संबंध में सर्वे किया था। इस सर्वे में विभिन्न श्रेणियों में कुल संपत्ति की संख्या लगभग 7,50,000 अनुमानित की गई। लगभग एक साल के सर्वे के बाद पूरी रिपोर्ट नगर निगम को सौंपी गई ताकि रिकॉर्ड को पोर्टल पर अपलोड किया जा सके। इसके बाद प्रॉपर्टी टैक्स बिल भेजने में कई गलतियां सामने आईं। कुछ प्रॉपर्टी यूनिट्स में घर के नंबर भी गलत तय किए गए थे। नगर निगम आयुक्त ने आदेश दिया है कि अब सभी फाइलों को पहले योजना शाखा में भेजा जाएगा और सबडिविजन की जांच के बाद ही प्रॉपर्टी आईडी बनाई जाएगी।
















