चंडीगढ़: हरियाणा सरकार को राज्य में 10 नए आईएमटी (इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप) स्थापित करने की योजना पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सरकार की “सरकारी विभागों को स्वेच्छा से दी गई भूमि की खरीद नीति 2025” पर सवाल उठाते हुए नोटिस जारी किया है और 23 सितंबर तक जवाब मांगा है। यह नीति 9 जुलाई 2025 को नोटिफाई की गई थी।
यह याचिका जींद जिले के अलेवा गांव निवासी किसान सुरेश कुमार ने दायर की है। उन्होंने इस नीति को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। किसान का आरोप है कि नई भूमि खरीद नीति किसानों के हितों के खिलाफ है और इसमें पारदर्शिता का अभाव है।Breaking News
याचिका में कहा गया है कि यह नीति दा राइट टू फेयर कॉम्पेनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड रिक्विजिशन, रिहैबिलिटेशन एंड री-सेटलमेंट एक्ट, 2013 के प्रावधानों का उल्लंघन करती है, जिसमें भूमि अधिग्रहण से पहले सामाजिक प्रभाव आकलन और ग्राम सभा से परामर्श अनिवार्य है।
सुरेश कुमार ने अपनी याचिका में कहा है कि बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण से पर्यावरण और सामाजिक संतुलन पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि यह भूमि अधिकांशतः उपजाऊ कृषि क्षेत्र में आती है। हाईकोर्ट की जस्टिस अनुपेंद्र सिंह ग्रेवाल और जस्टिस दीपक मनचंदा की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार से 23 सितंबर तक विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
याचिकाकर्ता के वकील हरविंदर पाल सिंह ईशर ने अदालत को बताया कि सरकार इस नीति के तहत लगभग 35,500 एकड़ उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण करना चाहती है, जो राज्य के विभिन्न विकास कार्यों और 10 नए आईएमटी के लिए प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि सरकार ने भूमि मालिकों से सीधे खरीद के लिए ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से आवेदन मांगे हैं, जो कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि नई नीति में मुआवजे की अधिकतम दर कलेक्टर रेट के तीन गुना तक सीमित रखी गई है, जो 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम की तुलना में काफी कम है। इसके अलावा, इसमें एग्रीगेटर्स या बिचौलियों को 1 प्रतिशत सुविधा शुल्क देने का प्रावधान है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ सकती है और अलग-अलग किसानों को असमान मुआवजा मिल सकता है।

















