मौसमछठ पुजाबिहार विधानसभा चुनाव 2025CET 2025राजस्थानमनोरंजनराशिफलबिजनेसऑटो मोबाइलरेवाड़ीआध्यात्मिकअन्य

Haryana: बलिदानी मुंशी राम की अंतिम यात्रा में उमडा जन सैलाब, शहीद के भाई कैलाश चंद ने शव को दी मुख़ागनी

On: October 3, 2024 5:10 PM
Follow Us:

-वीरांगना पार्वती बोली..मुझे गर्व मेरा पति देश के काम आया
-बलिदानी मुंशी राम को 56 साल बाद नसीब हुई गांव की मिट्टी

Haryana: 56 साल पहले देश की सेवा में प्राणों को न्योछावार करने वाले गांव गुर्जर माजरी के जवान मुंशी राम का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव में पहुंचा, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया! शहीद के भाई कैलाश चंद ने शव को मुख़ागनी दी!

अंतिम यात्रा में शामिल सैकड़ों ग्रामीणों ने अमर शहीद के जयकारों से आसमान गुंजायमान कर दिया!बलिदानी मुंशी राम के छोटे भाई कैलास ने बताया कि चार बहनों व तीन भाईयों में मुंशी राम सबसे बड़े थे। 22 वर्ष की आयु में यह हादसा हुआ था। उनका जन्म दिसंबर 1945 को हुआ था।

munshi ram 2
उसके बाद स्वजन उनके आने की बांट जोहते थे, लेकिन समय के साथ-साथ यादें भी धूमिल होने लगी थी। लेकिन स्वजन को उनके अंतिम संस्कार नहीं करने की टीस को सीने में छिपाए थे। उन्होंने बताया कि आज भाई का सामाजिक रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया है। स्वर्गीय मुन्शीराम के पिता का नाम भज्जूराम, माता का नाम रामप्यारी है।

मुंशी राम की वीरांगना पार्वती देवी ने कहा कि उन्हे पति की शहादत पर गर्व है, लेकिन 56 साल बाद उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा है इस बात की खुशी भी है। सैनिक के अंतिम दर्शन करने के लिए बडी संख्या में लोग उमड पडे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1968 में रोहतांग दर्रे के पास हुए एक विमान हादसे में भारतीय सेना को चार और शव मिले हैं। यह हादसा 56 साल पहले हुआ था। जिला रेवाड़ी की बावल तहसील के गांव गुर्जर माजरी के सिपाही स्वर्गीय मुन्शीराम भी इसी विमान में सवार थे।

munshi ram bawal 3

बता दें कि यह चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को ले जा रहा भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कई दशकों तक विमान का मलबा और विमान सवारों के अवशेष बर्फीले इलाके में खोए रहे।

सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए। 2005, 2006, 2013 व 2019 में चलाए गए सर्च आपरेशन में डोगरा स्काउट्स सबसे आगे रहे। 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद हो पाए थे। चंद्र भागा आपरेशन के बाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना अपने जवानों के परिवारों को सांत्वना देने के लिए कितनी दृढ़ है।

 

Sunil Chauhan

मै पिछले दस साल से पत्रकारिता में कार्यरत हूं। जल्दी से जल्दी देश की की ताजा खबरे को आम जनता तक पहुंचाने के साथ समस्याओं को उजाकर करना है।

Join WhatsApp

Join Now

google-newsGoogle News

Follow Now