Haryana: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत ने छह पदक जीते, जिनमें से पांच हरियाणा के खिलाड़ियों ने हासिल किए। इससे पहले टोक्यो ओलंपिक 2020 में भी भारत के सात पदकों में से चार हरियाणा के खाते में गए थे। यह साबित करता है कि हरियाणा खेल प्रतिभाओं की जन्मभूमि है। अब लगभग 13 साल बाद हरियाणा ओलंपिक खेलों का आयोजन फिर से किया जा रहा है, जिसमें सात हजार खिलाड़ी राज्य के विभिन्न जिलों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इन खेलों का उद्घाटन गुरुग्राम में करेंगे। इन खेलों का मुख्य उद्देश्य 2028 लॉस एंजिलिस ओलंपिक गेम्स की बेहतर तैयारी करना है। लेकिन दुखद पहलू यह है कि जिन राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसरों का निर्माण ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था, वे आज जर्जर अवस्था में हैं। इसी मुद्दे पर यह रिपोर्ट आधारित है।
करीब दो दशक पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में ग्रामीण इलाकों में राजीव गांधी खेल परिसरों का निर्माण कराया गया था। राज्यभर में ऐसे 163 खेल परिसर बनाए गए, जिनका उद्देश्य गांवों में खेल संस्कृति को बढ़ावा देना था। फरीदाबाद जिले के फतेहपुर बिलौच, अताली, कर्नेरा, धौज, टीगांव और पाली जैसे गांवों में ये परिसर स्थापित किए गए। इसके अलावा पलवल, नूंह, गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और सोनीपत जिलों में भी ऐसे दर्जनों परिसर बने। लेकिन अब इन परिसरों की हालत बेहद खराब है। कहीं इमारतें जर्जर हो चुकी हैं, तो कहीं खेल उपकरण गायब हो गए हैं। कई जगहों पर मैदानों में झाड़ियां और जानवर घूमते नजर आते हैं। यह स्थिति सवाल उठाती है कि जब ग्रामीण खिलाड़ी अभ्यास के लिए उपयुक्त जगह ही नहीं पाएंगे, तो वे ओलंपिक या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैसे अपनी प्रतिभा दिखा पाएंगे?
खेल परिसरों की बदहाली पर विशेषज्ञों की राय
ड्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त कोच सरकार तलवार का कहना है कि केवल वही बच्चे खेल मैदान में पसीना बहा सकते हैं जो वास्तव में खेलों से प्रेम करते हैं, और ऐसे बच्चे हरियाणा के गांवों में बड़ी संख्या में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इन परिसरों की स्थिति सुधारने पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, ताकि ग्रामीण खिलाड़ियों को सही वातावरण और संसाधन मिल सकें। एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भीम सिंह ने कहा कि यह देखना दुखद है कि जिन मैदानों में युवाओं को दौड़ना चाहिए, वहां अब घास और झाड़ियां उग आई हैं। अगर सरकार इन परिसरों को पुनर्जीवित कर दे, तो हरियाणा फिर से खेलो इंडिया और ओलंपिक गेम्स में अपनी ताकत दिखा सकता है। वहीं एशियाई खेलों के पदक विजेता भूपेंद्र सिंह ने कहा कि राजीव गांधी खेल परिसरों का निर्माण एक सराहनीय कदम था, लेकिन अब जब उनकी हालत बिगड़ चुकी है, तो उन्हें सुधारना जरूरी है। साथ ही, प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए ताकि खिलाड़ियों को बेहतर मार्गदर्शन मिल सके।
सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम
राज्य में बने राजीव गांधी खेल परिसरों पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन अब इन परिसरों की उपेक्षा ने यह निवेश व्यर्थ कर दिया है। आगामी रिपोर्ट श्रृंखला में बताया जाएगा कि आखिर क्यों ये परिसर बदहाल हुए, रखरखाव की कमी ने किस तरह जनता के पैसे को बर्बाद किया, और इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में खेल भावना और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, जरूरत है केवल सुविधाओं और प्रोत्साहन की। अगर सरकार समय रहते इन परिसरों को पुनर्जीवित कर दे, तो आने वाले लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 में हरियाणा के खिलाड़ी फिर से देश का नाम रोशन कर सकते हैं। यही इन खेल परिसरों का असली उद्देश्य था—गांवों से निकलकर भारत को खेलों में विश्व पटल पर स्थापित करना।

















