Haryana: दो दिनों की राहत के बाद एक बार फिर से वायु प्रदूषण ने लोगों की सांसें मुश्किल कर दी हैं। रविवार को औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 313 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो ‘रेड कैटेगरी’ में आता है। इससे पहले लगातार दो दिनों तक यह सूचकांक ‘येलो’ और ‘ऑरेंज’ कैटेगरी में था। अब फिर से हवा में जहरीले कणों की मात्रा बढ़ने से लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में कठिनाई और गले में खराश जैसी परेशानियां हो रही हैं। प्रशासनिक विभागों द्वारा सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन यह प्रयास प्रदूषण को नियंत्रित करने में पूरी तरह प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं।
प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण सड़कों से उड़ने वाली धूल बन गई है। क्षेत्र में पराली जलाने के मामले सामने नहीं आए हैं, फिर भी धूल के कणों ने हवा को जहरीला बना दिया है। दिल्ली की सीमाओं, खासकर टिकरी और झरोदा बॉर्डर पर सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। लंबे समय से सफाई न होने के कारण सड़कों पर महीन रेत की मोटी परत जम गई है, जो वाहनों के गुजरने पर धूल के बादल खड़े कर देती है। ऐसे में लोगों के लिए बाहर निकलना और खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर परिषद की ओर से लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है, परंतु सभी इलाकों में यह कार्य समान रूप से नहीं हो पा रहा है।
पिछले छह दिनों का प्रदूषण स्तर चिंताजनक
पिछले छह दिनों के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि प्रदूषण लगातार उतार-चढ़ाव के बाद अब फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। 28 अक्टूबर को AQI 347 दर्ज किया गया था, 29 को यह घटकर 269 पर पहुंचा। 30 अक्टूबर को फिर से यह बढ़कर 344 हो गया। 31 अक्टूबर को इसमें 200 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और यह 153 पर पहुंचा, लेकिन उसके बाद 1 नवंबर को यह फिर 253 हो गया और 2 नवंबर को 313 तक पहुंच गया। इस तेजी से बढ़ते प्रदूषण ने लोगों में चिंता पैदा कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में ठंड बढ़ने के साथ हवा की गति कम हो जाती है, जिससे प्रदूषक तत्व जमीन के पास ही ठहर जाते हैं और वायु गुणवत्ता और बिगड़ जाती है।
दिल्ली सीमा पर रोके जा रहे पुराने कार्गो वाहन
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली में बीएस-4 से नीचे श्रेणी वाले कार्गो वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। शनिवार से लागू हुए इस नियम के तहत अन्य राज्यों के बीएस-3 श्रेणी के वाहन दिल्ली में प्रवेश नहीं कर सकते। इससे हरियाणा के लगभग डेढ़ लाख वाहनों पर असर पड़ा है। दिल्ली की सीमाओं पर परिवहन विभाग और पुलिस की संयुक्त टीमों को तैनात किया गया है, जो वाहनों की श्रेणी की जांच कर रही हैं। अब तक किसी ट्रक या टेंपो को वापिस नहीं भेजा गया है, लेकिन कुछ पुराने ट्रैक्टरों को रोका गया है। माल ढुलाई के लिए अब केवल बीएस-4, बीएस-6, सीएनजी, ईवी और अन्य स्वच्छ ईंधन वाले वाहन ही उपयोग में लाए जा रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण के इस अभियान का असर आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है, लेकिन फिलहाल लोगों को जहरीली हवा से निजात नहीं मिल पाई है।

















