खुशखबरी: अब मनोहर सरकार खरीदेगी पराली, इन जिलों मे बनाए जांएगे खरीद सेंटर

PRALI
हरियाणा: हरियाणा के किसानो के लिए बडी राहत भरी खबर है। किसानो केा अब पराली जलाने के झंझट से छुटकारा मिलने वाला है। सरकार किसानों से पराली की खरीद अगले 15 दिन के अंदर शुरू करेगी। पराली खरीद के लिए प्रदेश में अलग-अलग चार केंद्र बनाए गए हैं।Haryana: : खुशखबरी! HTET उम्मीदवारों को मिलेगा मनचाहा परीक्षा केंद्र मंत्री रणजीत चौटाला मंगलवार को उद्योगपतियों की समस्याएं सुनने के लिए बहादुरगढ़ पहुंचे। बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने किसानों से पराली न जलाने की अपील की है। प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से पराली प्रबंधन के बारे में पूछने पर उन्होंने किसानों से पराली नहीं जलाने का अनुरोध किया।   किसान पराली जलाने के बजाय सरकार को बेचें। इससे आर्थिक लाभ होगा और प्रदूषण भी नहीं बढ़ेगा। मंत्री रणजीत ने बताया कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने इसकी दरें भी तय कर दी हैं। उसी आधार पर पराली की खरीद की जाएगी। कहा कि प्रदेश में जितने भी बिजली संयंत्र हैं उन सभी में पराली का प्रयोग होगा। बिजली का उत्पादन किया जाएगा।CET परीक्षा के लिए नारनोल से 300 बसें एक होगी रवाना, जानिए रूट मेप व समय सारणी

पराली से बनेगी बिजली

पराली का उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाएगा। इससे न केवल वायु प्रदूषण फैलता है बल्कि जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है। बिजली संयंत्रों में पराली का प्रयोग किया जाएगा। हरियाणा में चार केंंद्र बनाए गए है जहा किसान अपनी पराली बेच सकेंगे। ये सेंटर करनाल सोनीपत के आस पास बनाए जांएगे क्योंकि इनहीं इलाके में ज्यादा पराली जलाई जाती है। प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बन चुकी पराली के मैनेजमेंट के ल‍िए हर‍ियाणा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में पराली एक्स-सीटू प्रबंधन नीति हरियाणा 2023 को मंजूरी दी गईा 2027 तक फसल अवशेष जलाने का चलन खत्म करना है। हर‍ियाणा में पराली प्रबंधन की 80 हजार मशीनें वैसे इस पॉल‍िसी से अलग हटकर बात करें तो हरियाणा में इस समय पराली मैनेजमेंट करने वाली 80,000 से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी हैं। मशीनों की उपलब्धता और नई मशीनों की खरीद की भी समीक्षा की गई है। उम्मीद है क‍ि और मशीनों को खरीदने पर जोर द‍िया जाएगा. मशीनों की खरीद पर 65 फीसदी तक की सब्स‍िडी दी जा रही है। लेक‍िन यह काम पराली के इन-सीटू मैनेजमेंट यानी खेत में ही प्रबंधन करने की नीत‍ि के तहत आता है.