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Akshaya Tritiya: अक्षय तृतीया को क्यों कहा जाता है इक्षु तृतीया, जानिए जैन धर्म में क्या है इसका महत्व?

On: April 30, 2025 7:33 PM
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Akshaya Tritiya: अक्षय तृतीया को क्यों कहा जाता है इक्षु तृतीया, जानिए जैन धर्म में क्या है इसका महत्व?

Akshaya Tritiya : अक्षय तृतीया केवल सनातनियों का ही नहीं, बल्कि जैन धर्मावलम्बियों का भी एक महान धार्मिक पर्व माना जाता है। इस दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव भगवान ने एक वर्ष की पूर्ण तपस्या के बाद इक्षु (शोरडी-गन्ने) रस से पारायण किया था। बता दे कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभनाथ को भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है।

Akshaya Tritiya: जैन समाज से मिली जानकारी के अनुसार ​बताया गया है इसके पीछे कथा प्रचलित है । जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर श्री आदिनाथ भगवान ने सत्य व अहिंसा का प्रचार करने के लिए और अपने कर्म बन्धनों को तोड़ने के लिए संसार के भौतिक सत्य और अहिंसा के प्रचार करने के लिए प्रभु विचरण कर रहे थे। बताया जाता है कि ऐसा करते-करते आदिनाथ प्रभु हस्तिनापुर गजपुर पहुंचे जहां इनके पौत्र सोमयश का शासन चल था।

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Akshaya Tritiya क्यों कहा जाता है इक्षु तृतीया: बता दे कि प्रभु का आगमन की बात सुनकर सभी नगर वासी दर्शन के लिए जमा हो गए। सोमप्रभु के पुत्र राजकुमार श्रेयांस कुमार ने प्रभु को देखकर उसने आदिनाथ को पहचान लिया और तत्काल शुद्ध आहार के रूप में प्रभु को गन्ने का रस दिया।

रस पीने के बायद आदिनाथ ने व्रत का पारायण किया। उसी दिन के बाद जैन धर्मावलंबियों के अनुसार गन्ने के रस को इक्षुरस भी कहते हैं । इसी लिए आज लिए जैन समाज की ओर ज्यादा गन्ने का रस पिलया जाता है। इसी कारण यह दिन इक्षु तृतीया एवं अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है।Akshaya Tritiya

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जैन मंदिर की ओर से राहगिरों का पिलाया गन्ने का रस
धारूहेड़ा: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर धारूहेड़ा की ओर जैन मंदिर के बाहर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। जैन समिति ने श्रद्धालुओं और राहगीरों को गन्ने का रस प्रसाद के रूप में दिया। समाज के लोगों ने राहगीरों से विनम्रता के साथ हाथ जोड़ कर प्रसाद लेने का आग्रह किया।

अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर धारूहेड़ा की ओर  जैन मंदिर के बाहर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।
अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर धारूहेड़ा की ओर जैन मंदिर के बाहर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।

जैन मंदिर के संचालक प्रदुमैन जैन, पार्षद प्रतिनिधि डीके शर्मा, एचएसपाल की ओर से बुधवार को मंदिर के बार मुख्य मार्ग पर ठंडे रस की स्टाल लगाकर राहगिरो का रसपान करवाया। बता दे कि
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने अक्षय तृतीया के दिन गन्ने के रस से अपनी तपस्या का पारणा किया था। उन्ही की याद में यह आयोजन किया गया। उन्होंने गन्ने के रस को स्वस्थ और पवित्र प्रसाद बताया। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने प्रसाद वितरण की सराहना की।

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