नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव आयोग ने बडा फैसला लिया है। जिसके चलते अब उत्तर प्रदेश सहित पांचों चुनावी राज्यों में रैली, रोड शो, पदयात्रा और जनसभाओं पर लगे प्रतिबंध को 22 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया है। फिलहाल यह प्रतिबंध 15 जनवरी तक के लिए ही था। हालांकि, इसके साथ ही चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को एक बड़ी राहत भी दी है। इसके तहत अब कोई दल अधिकतम 300 लोगों या फिर हाल की क्षमता के आधे के साथ बंद कमरे में बैठक कर सकेगा। इसी को लेकर 22 जनवरी को स्थिति की फिर से समीक्षा होगी।
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विचार विमर्शर कर लिया निर्णय: चुनाव आयोग ने शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा सभी चुनावी राज्यों के स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ चुनावी प्रतिबंधों को लेकर अलग-अलग चर्चा की। साथ ही कोरोना संक्रमण और टीकाकरण आदि की स्थिति को भी जांचा। आखिरकार आयोग ने काफी विचार-विमर्श के बाद राज्यों में सामान्य रैलियों और जनसभाओं आदि पर लगे प्रतिबंधों को आगे जारी रखने का फैसला लिया।
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हालांकि, आयोग ने राजनीतिक दलों की मांग को देखते हुए सख्त नियमों के साथ इनडोर मीटिग की इजाजत दे दी है। साथ ही कहा है कि इन नियमों को तोड़ने पर कड़ी कार्रवाई भी होगी। बता दें कि आयोग पहले ही कह चुका है कि यदि कोई नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे आगे कोई अनुमति नहीं मिलेगी।
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समय बढाया: चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए आकाशवाणी और दूरदर्शन पर दिए जाने वाले समय को भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। अब सभी दलों को कम-से-कम डेढ़ घंटे का समय मिलेगा। आयोग ने पार्टियों को तय दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने को भी कहा है। साथ ही राज्य और जिला प्रशासन को भी निर्देशों का सख्ती के साथ अमल कराने को कहा है।
पहले रोड शो में 15 जनवरी तक थी रोक
बता दें कि चुनाव आयोग ने आठ जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम का एलान करते हुए महामारी के मद्देनजर 15 जनवरी तक रैलियों, रोड शो और नुक्कड़ सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था।
तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में चुनाव हो रहे हैं, जबकि देशभर में कोरोना के मामलों में भयावह वृद्धि हुई है, जिसमें कुछ मतदान वाले राज्य भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश ने इस महीने के पहले सप्ताह में कोरोना संक्रमणों में भारी 1,300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जबकि पंजाब के 22 में से 16 जिलों में सकारात्मकता दर पांच प्रतिशत से अधिक है, जो कि एक खतरे का स्तर है।