Haryana news: रविदास जयंती पर हरियाणा में स्कूल रहेंगे बंद, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश

Haryana news: हरियाणा में 12 फरवरी, बुधवार को राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूल रविदास जयंती के अवसर पर बंद रहेंगे। इस दिन को लेकर शिक्षा विभाग ने निजी स्कूल संचालकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि इस दिन किसी भी बहाने से बच्चों को स्कूल बुलाया न जाए। शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई स्कूल इस दिन खुले रखते हुए बच्चों को स्कूल बुलाएगा, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सख्त कार्रवाई की चेतावनी
शिक्षा विभाग ने एक पत्र जारी कर सभी स्कूल संचालकों को आदेश दिया है कि 12 फरवरी को रविदास जयंती के अवसर पर स्कूलों में कोई भी गतिविधि आयोजित नहीं की जाए। पत्र में यह भी कहा गया है कि सरकारी अवकाशों के दौरान या घोषित छुट्टियों पर कुछ स्कूल गतिविधियों का आयोजन करते हैं, जो कि शिक्षा विभाग के नियमों का उल्लंघन है।
विभाग ने यह आदेश भी जारी किया है कि यदि इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित स्कूल प्रशासन के खिलाफ उच्च अधिकारियों को सूचित किया जाएगा और उन पर विभागीय और प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
महेंद्रगढ़ जिले में ज्यादा समस्या
हरियाणा में स्कूल संचालकों द्वारा सरकारी छुट्टियों के दिन स्कूल खोलने की समस्या महेंद्रगढ़ जिले में अधिक देखने को मिलती है। यहां के स्कूल संचालक कई बार सरकारी छुट्टियों के बावजूद बच्चों को स्कूल बुलाते हैं, जिस कारण शिक्षा विभाग को बार-बार नोटिस जारी करने पड़ते हैं। शिक्षा विभाग ने इस बार भी रविदास जयंती के अवसर पर एक पत्र जारी कर सभी स्कूल संचालकों को चेतावनी दी है कि यदि इस बार भी छुट्टी के बावजूद स्कूल खुले रहते हैं, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गंभीर दुर्घटनाओं का संदर्भ
यह आदेश इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले वर्ष अप्रैल में दुर्गा अष्टमी के दिन कनीना में एक गंभीर घटना हुई थी। उस दिन सरकारी छुट्टी के बावजूद कुछ स्कूल खुले थे, और बच्चों को स्कूल बुलाया गया था। इस दौरान एक स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें आठ बच्चों की मौत हो गई। इस घटना के बाद से प्रशासन ने छुट्टियों पर स्कूल खोलने को लेकर सख्त रुख अपनाया है और अब कोई भी स्कूल यदि छुट्टी के दिन खुले रहेंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा विभाग का दृष्टिकोण
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम बच्चों की सुरक्षा और उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। यदि स्कूल संचालक सरकारी छुट्टियों के दौरान बच्चों को स्कूल बुलाते हैं, तो यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि बच्चों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। शिक्षा विभाग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों को सरकारी छुट्टियों के दौरान आराम और शांति का समय मिले, और वे स्कूल की गतिविधियों से मुक्त रहें।
पिछले आदेशों का पालन नहीं करना
शिक्षा विभाग ने बताया कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब स्कूल संचालकों ने सरकारी छुट्टियों पर स्कूल खोलने के खिलाफ निर्देश जारी किए हों। इससे पहले भी विभाग ने ऐसे आदेश जारी किए हैं, लेकिन कई बार यह आदेश प्रभावी नहीं हो पाते और स्कूल संचालक बच्चों को बुलाने के लिए विभिन्न बहाने ढूंढ लेते हैं। शिक्षा विभाग ने इस बार सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि अगर कोई स्कूल संचालक इस बार भी आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उसे उच्च अधिकारियों तक रिपोर्ट किया जाएगा।
अवकाश के दिन स्कूल खोलने की समस्या
हरियाणा के कई हिस्सों में यह समस्या लगातार बनी रहती है कि सरकारी अवकाश के दिन स्कूल खुले रहते हैं। कुछ स्कूल संचालक बच्चों को पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों के लिए बुलाते हैं, जबकि यह गलत है और बच्चों की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। शिक्षा विभाग का कहना है कि सरकारी छुट्टियों पर बच्चों को आराम की आवश्यकता होती है, और उन्हें स्कूल बुलाने से उनका विकास और उनकी सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
विभागीय कार्रवाई की संभावना
यदि कोई स्कूल संचालक आदेश का उल्लंघन करता है और बच्चों को स्कूल बुलाता है, तो उस स्कूल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में स्कूल प्रमुख को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उसे विभागीय और प्रशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, अगर स्कूल संचालक लगातार इस तरह की अवज्ञा करते हैं, तो उनकी अनुमति भी रद्द की जा सकती है।
हरियाणा में 12 फरवरी को रविदास जयंती के दिन सरकारी और निजी स्कूलों को बंद रखने के आदेश के बाद अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार सभी स्कूल संचालक आदेश का पालन करेंगे और बच्चों को छुट्टी का समय देंगे। शिक्षा विभाग का यह कदम बच्चों की सुरक्षा और उनके भले के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसे लागू करने की जिम्मेदारी अब स्कूल संचालकों की है।