Haryana: अहीरवाल क्षेत्र की समृद्ध लोक संस्कृति, खेती-किसानी, सैन्य परंपरा, जैवविविधता तथा पर्यावरण में हो रहे बदलाव पर केंद्रित एक शोध यात्रा का शुभारंभ दादूपंथी ऐतिहासिक गांव सीहा की पहाड़ी से आज किसान संचार के संस्थापक तथा नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के संयोजक जाने-माने शोधार्थी कमलजीत की अगुवाई में हुआ।
सीहा स्थित सरकारी स्कूल में शोध टीम ने विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को प्रार्थना सभा में इस शोध यात्रा के उद्देश्यों पर चर्चा की। प्राचार्य सत्यवीर नाहड़िया की अध्यक्षता में युवा चेतना संगठन तथा ग्राम पंचायत द्वारा शोध टीम का स्वागत किया गया।
इस अवसर पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए शोधार्थी कमलजीत ने बताया कि इस साप्ताहिक शोध यात्रा के दौरान वे रेवाड़ी तथा महेंद्रगढ़ जिलों के विभिन्न गांवों से इस इलाके की प्रकृति एवं संस्कृति पर केंद्रित शोध कार्य करेंगे। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे रचनात्मक नवाचारों तथा पर्यावरणीय बदलाव को भी शोध में शामिल किया जाएगा।
इससे पहले वह कृषि पर आधारित एक दर्जन से ज्यादा राष्ट्रीय शोध यात्रा संपन्न कर चुके हैं। इस यात्रा का समापन 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के अवसर पर ढ़ोसी पहाड़ी पर होगा।
इस अवसर पर साहित्यकार एवं प्राचार्य श्री नाहड़िया ने टीम का स्वागत पगड़ी, शॉल,
व साहित्य से किया तथा शोधार्थियों से अहीरवाल की स्वर्णिम सैनिक परंपरा एवं अनूठी लोक संस्कृति को भी इस शोध में शामिल करने का सुझाव दिया।
युवा चेतना संगठन के प्रधान नरेश भारद्वाज ने सीहा के ऐतिहासिक तालाब तथा संत शिरोमणि बाबा रामस्वरूप महाराज के मंदिर व पहाड़ी के बारे में जानकारी दी, वहीं सरपंच प्रतिनिधि दीपक यादव ने गांव के इतिहास, चार दर्जन से ज्यादा ढाणियों, एक दर्जन से ज्यादा भंडारों, तंबाकू खेती आदि की जानकारी शोध टीम को दी।
शोध टीम के प्रतिनिधियों ने आज सीहा के बाद लुहाना के आर्य समाज मंदिर, धवाना के अग्रज अनुज शहीद स्मारक, खोल के आश्रम तथा कुंड के स्लेट पत्रों से जुड़ी जानकारी जुटायी। शोध टीम ने पाया कि क्षेत्र में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है तथा चिंतनीय स्तर पर जा पहुंचा है।
इस शोध यात्रा में शोध टीम के प्रभारी कमलजीत के अलावा दिलीप गुणवाल, सुधीर बिश्नोई प्रदीप डागर, उमेद प्रधान, मुकेश कुमार, शीशपाल हरदू आदि शोधार्थी शामिल हैं।
सीहा से प्रारंभ हुई इस शोध टीम का एक निश्चित रूट व प्रारूप रहेगा, जिसके तहत शोध टीम प्रतिदिन गांवों में किसानों, महिलाओं तथा युवाओं से संबंधित बिंदुओं पर विमर्श करते हुए कार्बनिक खेती, नवाचारी सृजनशीलता, रचनात्मकता तथा जैवविविधता पर शोध रिपोर्ट तैयार करेगी।