रेवाडी: शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में नशा जम कर बिक रहा है। प्रदेश भर में पुलिस द्वारा नशा बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाया गया। रेवाड़ी जिला में भी पुलिस की 30 टीमें गठित की गई थी लेकिन हैरानी करने वाली बात यह है कि इतने टीमें बनाने के बावजूद भी नशा पकड़ने की बजाय महज खानापूर्ति की गई और केवल एक ही जगह नशा पकड़ा गया। ऐसे में पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। नशा बेचने वाली बड़ी मछलियों के ठिकानों पर भी पुलिस छापेमारी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
पुलिस द्वारा पूरे प्रदेश में नशा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए टीमें बना कर अभियान चलाया गया था। जिला में पुलिस की तीस टीमें गठित की गई थी, जिसमें 166 जवानों को शामिल किया गया था। पुलिस टीमों द्वारा 37 स्थानों पर दबिश देकर जांच की, लेकिन एक भी जगह पर कामयाबी नहीं मिल पाई और खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। कोसली में हरियाणा स्टेट नारकोटिकस कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने एक व्यक्ति को एक किलो 200 ग्राम गांजा बरामद किया है।
लीक हो जाती है सूचनाएं:
शहर में नशा धड़ल्ले से बिक रहा है। नशा बिकने की जानकारी पुलिस को भी है। पुलिस अधिकारियों द्वारा नशा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई निर्देश भी दिए जाते है, लेकिन दबिश देने वाली टीम के पहुंचने से पहले ही सूचना लीक हो जाती है। मंगलवार को चलाए गए अभियान के असफल होने के पीछे भी यही कारण माना जा रहा है। नशा बेचने वालों के बारे में पूरी जानकारी होने के बावजूद दबिश देने वाली टीमों के हाथ कुछ नहीं लग पाया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नशा बेचने वालों की जड़े पुलिस विभाग में किस गहराई तक पहुंच चुकी है।पुलिस द्वारा नशा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई में बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाला जाता, बल्कि कार्रवाई छोटी मछलियों पर कार्रवाई कर खानापूर्ति कर दी जाती है।
सरेआम बिकता है नशा:
जिला में शहर हो या गांव हर जगह नशा सरेआम बिकता है। नशा बेचने वाले गिरोह के सदस्य बीच सड़क, चौराहों और गलियों में खड़े होकर पुड़िया बेचते हैं लेकिन हैरानी है कि पुलिस की 30 टीमों को भी ये नशे के कारोबारी नहीं मिल पाए। पुलिस की यही कार्यशैली बयां कर रही है कि नशे का जाल इतना गहरा हो गया है कि इसकी जड़ों को हिलाने में अब खाकी भी खुद को असहाय महसूस कर रही है।