शिकायत के बाद विभाग से पहुंची टीम, जांच के लिए मधुबन भेजे सेंपल
Haryana News : दिल्ली जयुपर हाईवे स्थित मसानी बैराज में बनाई गई कृत्रिम झील में हजारों मछलिया मरने से विभाग की नींद उड गए। आनन फानन में सिचाई विभाग , जनस्वास्थ्य विभाग व मछली पालन के अधिकारी मौके पर पहुंचे तथा निरीक्षण किया। विभाग की ओर जांच के लिए मछलियों के सैंपल मधुवन भेजे गए है ताकि सही कारणों का पता चल सके।
बता दे कि करीब 8 साल पहले साहबी (मसानी) बैराज की करीब 500 एकड़ जमीन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के जूलॉजिकल एंड नेचर पार्क बनाए जाने पर योजना तैयार की थी। स्वयं पूर्व मनोहर सरकार यहां आकर विजिट करके इसे सिरे चढाने के लिए कहा था। लेकिन सारी प्लानिंग केवल दूषित पानी की झील बनकर रह गई हैं।
बैराज में STP से बिना ट्रीट किया हुआ पानी छोडा जा रहा है। बारिश के पानी के साथ दूषित पानी धडल्ले से आ रहा है। एनजीटी ओर से दूषित पानी को लेकर एसटीपी विभाग पर जुर्माना भी लगाया हुआ है, लेकिन पानी अभी भी दूषित छोडा जा रहा है।
फिसिंग विभाग रेवाडी के प्रभारी सदींप कुमार ने बताया कि बडी संख्या में मछलियों का मरना बडा हैरान करने वाला मामला है। बारिश के समय तालाबों में आक्सीजन की कमी के चलते मछलिया मर सकती है। साहबी बैराज में दो साईडों में पानी भरा हुआ है।
गंदे पानी वाली साईड में 100 फीसदी मछलिया मर गई है। पानी में कैमिकल भी है जिसके चलते भी मछलियां मर सकती है। ये एरिया सिचाई व जनस्वास्थ्य विभाग के अधीन आता है। टीम को बता दिया गया है आगे कैसे मछलियों को मरने से बचाया जा सकता है।
फिलहाज जांच के सेंपल मधुवन भेजे गए है। बैराज में बिजली की लाईन भी लगी हुई है। आशंका है बिजली के कंरट से भी मछलिया मर सकती है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट व सेंपल जांच के बाद ही सही कारणों का पता चल पाएगा।
झील में एक साथ हजारों मछलिया मर गई है। एक उम्मीद फाउडेंशन की ओर से इसकी शिकायत की गई है। टीम ने साहबी बैराज का निरीक्षण किया है। एनजीओ ने साहबी बैराज में छोडे जा दूषित पानी को रोकने की मांग की है।
कांता देवी, डायेरक्टर, फाउंडेशन एक उम्मीद