Cleanliness survey: सात साल 2017 में पीएम मोदी की ओर से चलाया स्वच्छता अभियान सफाई को लेकर अच्छी पहल शुरू की है। लेकिन नियमित सफाई के अभाव के चलते रेवाड़ी में सफाई अभियान की पोल खुलती जा रही है। पिछले साल सफाई को लेकर रेंकिंग इतनी गिर गई है अब दोबारा से अच्छी रैंकिंग पाना चुनौती बना हुआ है।
रेवाड़ी में कुल 31 तथा धारूहेड़ा में 17 वार्ड हैं। सफाई कर्मचारियों की कमी की वजह से नगर के अधिकतर वार्डाें में नियमित सफाई नहीं होती है जिससे जगह-जगह पर कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। नगर के कुछ वार्ड ऐसे भी हैं जिनमें सफाई व्यवस्था पूरी तरह दम तोड़ चुकी है। Cleanliness survey
रेवाड़ी में करी तीन लाख की तथा धारूहेड़ा मे करीब 80 हजार आबादी है। रेवाड़ी में तीन आबादी पर सिर्फ 300 सफाई कर्मचारी कार्यरत है, जबकि धारूहेड़ा में 100 से ज्यादा कर्मचारी है। Cleanliness survey
सफाईकर्मियों और संसाधनों की कमी के चलते अपेक्षित सफाई नहीं हो रही है। ऐसे में नगर परिषद के सामने स्वच्छता रैंकिंग को सुधारने की बड़ी चुनौती है। हर साल जब स्वच्छता रैंकिंग की महिना नजदीक आता है प्रशासन जागता है। जबकि धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा हैं करोडो रूपए मोबाइल टायलेट कबाड बन चुके है। कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
कूड़ा निस्तारित नहीं होने से दुर्गंध उठती है और बीमारी फैलने का डर बना रहता है। सफाई कर्मचारियों के पास संसाधनों की कमी भी है जिससे सफाई कार्य प्रभावित होता है।
अक्तूबर में आएगी स्वच्छता सर्वेक्षण टीम : नगर परिषद ने स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। आज से स्वच्छता पखवाड़ा शुरू किया गया है जो 2 अक्तूबर तक चलेगा। अभियान के तहत सफाई व्यवस्था सुधारने की कवायद की जाएगी। लेकिन पिछले साल गिर रैंकिंग को लेकर काफी मेहनत करनी पडेगी।
पिछले साल से गिरी स्वच्छता रैंकिंग
घर-घर कचरा प्रबंधन के लिए करीब 5.50 करोड़ का टेंडर होने के बाद भी रेवाडी, धारूहेड़ा व बावल में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। ठेकेदार ने न तो पर्याप्त गाड़ियां लगाई हैं और न ही सड़कों से कचरा उठाया जा रहा है। Cleanliness survey
पिछले साल बंद किए गए डंपिंग स्टेशन फिर सक्रिय हो चुके हैं। जगह जगह कचरा बिखरा रहता है। कचरे की तुलाई को लेकर भी भारी गोलमाल है। हकीकत में कम कचरा एकत्रित किया जा रहा है लेकिन कागजों ज्यादा दिखाया जा रहा है।Cleanliness survey