साहबी बैराज : प्रशासन ने कहा जल संरक्षण से 9 गांवों में बढ़ा भू-जलस्तर, ग्रामीण बोले बिना ट्रीट पानी छोडने से दूषित हुआ जलस्तर

रेवाड़ी: सुनील चौहान। सिचांई एवं जल संसाधन विभाग रेवाड़ी ने मसानी बैराज की भूमि को बरसात के मौसम से उपलब्ध होने वाले अतिरिक्त पानी से सराबौर करने का बिड़ा उठाया हुआ है। वर्ष 2017 से 2021 तक 35 हजार से भी अधिक एकड़ फीट पानी को मसानी बैराज में छोड़ा गया। जिसके फलस्वरूप मसानी बैराज के पास बसे 9 गांव जोकि जडथल, निगानीयावास, निखरी, रसगन, खरखडा, रालियावास, भटसाना, डुंगरवास, धारूहेड़ा के भू-जल स्तर में 5 से 25 फीट का सुधार देखने को मिला है। वहीं ग्रामीणों का आरोप है साहबी में बिना ट्रीट किए हुए पानी छोडा जा रहा है जिससे जलस्तर प्रदूषित हो रहा हैं।
प्रशासन का दावा: साहबी बैराज जल संरक्षण की कड़ी में क्षेत्र के गांवों के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है।सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग रेवाड़ी ने वर्षों पुराने सूखे पड़ेे मसानी बैराज में वर्षा का अतिरिक्त जल छोडऩे का कार्य किया। इन्ही प्रयासों की बदौलत वर्ष 2019 में जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा रेवाड़ी जिले को उत्तर जॉन में भू-जल पूनर्भरण श्रेणी में तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया जोकि अपने आप में अत्यधिक गर्व की बात है।
इस वर्ष भी जल शक्ति अभियान फेज-2 कार्यक्रम जो कि भारत सरकार जल शक्ति मंत्रालय के अन्तर्गत माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 22 मार्च 2021 वाटर डे पर शुरू किया गया जिसके अर्तगत रेवाड़ी जिले में विभिन्न विभागों द्वारा पानी की बुंद-बुंद को संचय करने के लिए भिन्न-भिन्न तरीके अपनाकर व ग्राम स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम से जनमानस को भागीदार बनाकर इस कार्यक्रम से जोडऩे का कार्य किया जा रहा है ताकि जिले के जल स्तर को सुधारा जा सके व भावी पीढी को जल की महत्वता को समझा जा सके।
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उपायुक्त यशेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के जल शक्ति अभियान के साथ साथ हरियाणा सरकार का भी प्रयास है कि मसानी बैराज में वर्षा के अतिरिक्त जल का संचय करने के साथ-साथ इस बैराज को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए ताकि लोग इस मनमोहक क्षेत्र का आनंद उठा सकें।
रेवाड़ी जिले में मसानी गांव के नजदीक साहबी नदी दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर वर्ष 1979 में मसानी बैराज का निर्माण हुआ था। जिसका उद्देश्य राजस्थान की अरावली पहाडिय़ों से आने वाले बरसाती पानी से साहबी नदी में बाढ़ आने से होने वाले जान-माल के नुकसान से बचाने के लिए एवं पानी को रोकने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा हरियाणा व राजस्थान राज्यों के मुख्यमंत्री व उप-राज्यपाल दिल्ली की उपस्थिति में मसानी बैराज बनाने का निर्णय लिया गया था।

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