Pitru Paksha 2023: 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक चलेगा पितृपक्ष, जानिए पिंडदान की विधि व मंत्र

PITRA PAKSHA

Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष यानी श्राद्ध का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने और श्राद्ध कर्म करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है।Haryana: गैंगस्टर महेश सैनी की संपति कुर्क करने की तैयारी, 33 आपराधिक मामले में संलिप्त !

 

पितृपक्ष पितरों को समर्पित है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होता है।Rewari: अहरोद में 8 एकड में बनेगा स्टेडियम, प्रस्ताव खेल अधिकारी को सौंपा

इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी किया जाता है. पितृपक्ष में श्रद्धा पूर्वक अपने पूर्वजों को जल देने का विधान है।

 

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ज्योतिषाचार्य ने बताया कि उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है.। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें।

जानिए कब से शुरू हो रहे पितृ

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 29 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। वहीं, इसका समापन आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होता है। अमावस्या तिथि इस बार 14 अक्टूबर को पड़ रही है।पासपोर्ट के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने का झंझट खत्म, विदेश मंत्रालय ने शुरू की “एक्सीलेंस वैन सेवा” जानिए क्या है योजना

 

पितृपक्ष में तर्पण विधि (Pitru Paksha 2023 Tarpan Vidhi)

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए. तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करें और गलतियों के लिए क्षमा मांगें.

 

श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का अर्थ

तर्पण करने का अर्थ यह है कि हम जल का दान कर रहे हैं। इस तरह पितृ पक्ष में इन तीनों कामों का महत्व है। पितृ पक्ष में किसी गौशाला में गायों के लिए हरी घास और उनकी देखभाल के लिए धन का दान करना चाहिएं। इनके साथ ही कौओं के लिए भी घर की छत पर भोजन रखना चाहिए।
पितृपक्ष 2022 प्रार्थना मंत्र

पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।।

ॐ नमो व पितरो रसाय नमो व:

पितर: शोषाय नमो व:
पितरो जीवाय नमो व:
पीतर: स्वधायै नमो व:
पितर: पितरो नमो वो
गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।।

भोजन के पांच अंश

श्राद्ध के समय पितरों के लिए भी आहार का एक अंश निकाला जाता है, तभी श्राद्ध कर्म पूरा होता है। श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित करने वाले भोजन के पांच अंश निकाले जाते हैं गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए. कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है, चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैंंRewari: अहरोद में 8 एकड में बनेगा स्टेडियम, प्रस्ताव खेल अधिकारी को सौंपा

 

 

 

श्राद्ध की तिथियां (Pitru Paksha Shradh Date 2023)

29 सितंबर – पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध, द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर – तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर – चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर – पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर – षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर – सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर – अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर – नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर – दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर – एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर – द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर – त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर – चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर – सर्व पितृ अमावस्या