दिल्ली: पिछले कुछ दिनों ईपीएस 95 पेंशन यानि हायर पेंशन काफी चर्चा में हैं। कर्मचारी भ्रमित है कि सामान्य पेंशन या फिर हायर पेंशन, किसको चुना जाए। सूचनाओ के माध्यम से ये बताया जा रहा है कि पेंशन बहुत ज्यादा बढ जाएंगी। परंतु सबसे बड़ी दुविधा यही है कि कौन-सा विकल्प चुना जाए।
जानिए आखिर ये EPS 95 है क्या
लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर उन्हें ज्यादा पेंशन मिलेगी कैसे? क्या उनके हाथ में आने वाले वेतन में से कुछ कटौती करके पैसा पेंशन फंड में डाला जाएगा या फिर किसी और तरीके से इसे बढ़ाया जाएगा?
हम आपको इस न्यूज के माध्यम से इन सब सवलो को जबाव देने वाले है ताकि यह जान सके कि आपके लिए हायर पेंशन ठीक रहेगा या नहीं।
सवाल – EPS-95 असल में है क्या?
प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों (जो ईपीएफओ के खाताधारक हैं) रिटायरमेंट के बाद पेंशन का लाभ दिलाने के लिए 1995 में नया नियम लागू किया गया था। इसे ही EPS-95 कहते हैं। यह धन आपके EPFO में जाता है।
पेंशन फंड में कैसे होता है अंशदान?
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के हर मेंबर के 2 खाते होते हैं। एक कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और दूसरा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS)। कर्मचारी के बेसिक और डीए से हर महीने 12 फीसदी राशि काटकर EPF में डाली जाती है, जबकि उसका नियोक्ता भी कर्मचारी के बेसिक और डीए का 12 फीसदी डालता है।
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लेकिन, नियोक्ता यानि कंपनी का पूरा अंशदान EPF में नहीं जाता। नियोक्ता के अंशदान में से 8.33 फीसदी रकम EPS खाते में जाती है, जबकि 3.67 फीसदी रकम EPF खाते में डाली जाती है।
सवाल – पहले क्या था अंशदान:
EPS में पहले 6,500 रुपये के अधिकतम वेज पर ही अंशदान होता था। इसका मतलब हुआ कि अगर आपकी बेसिक और डीए सैलरी 1,00,000 रुपये थी, तो कर्मचारी की ओर से इसका 12 फीसदी यानी 12,000 रुपये सीधे EPF खाते में डाल दिया जाता था।
वहीं, नियोक्ता की ओर से यानी कंपनी की ओर से 6,500 रुपये का 8.33 फीसदी यानी 541.45 रुपये EPS में डाला जाता था और बाकी पूरा पैसा EPF खाते में जाता था। बाद में वेज बढ़कर 15,000 हो गया तो नियोक्ता का EPS में अंशदान इसका 8.33 फीसदी यानी 1,249.50 रुपये होने लगा और बाकी पैसा EPF खाते में जाता था।
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सवाल – हायर पेंशन का किसको बढेगा बोझ:
हायर पेंशन का बोझ न तो कर्मचारी पर तथा न ही नियोक्ता पर कोई बोझ पड़ने वाला है । नियोक्ता की ओर से EPS और EPF खाते में जमा होने वाली रकम में बदलाव आ जाएगा और यह काफी ज्यादा होगौ
जानिए क्या होगा बदलाव: मान लीजिए आपकी बेसिक और डीए की कुल रकम 1,00,000 रुपये हुई तो अब इसका 8.33 फीसदी यानी 8,330 रुपये का अंशदान नियोक्ता EPS फंड में करेगा, जबकि EPF में 3.67 फीसदी यानी 3,670 रुपये ही जाएंगे।
सवाल – ज्यादा पेंशन, मतलब कितनी ज्यादा?
पहले पीएफ खाताधारक (PF Account Holder) के लिए पेंशन की गणना 6,500 रुपये के वेतन को ही आधार मानकर की जाती थी. इसका फॉर्मूला था- पेंशन योग्य वेतन x नौकरी के साल/70. अगर किसी व्यक्ति ने 35 साल की नौकरी की तो इस फॉर्मूले पर वह रिटायरमेंट के बाद 3,250 रुपये पेंशन का हकदार होगा।
2014 के बाद EPF वेज बढ़कर 15 हजार हुआ तब इसी फॉर्मूले पर पेंशन बढ़कर 7,500 रुपये महीने पहुंच गई। यानी 35 साल नौकरी के बाद रिटायर हुआ तो मासिक पेंशन 7,500 रुपये बनेगी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसका फॉर्मूला बदला और नौकरी के अंतिम 60 महीने के औसत वेतन को पेंशन योग्य सैलरी माना गया। जिसे अब लागू करने के लिए कहा गया है।
जानिए अब पेंशन का नियम:
–मान लीजिए आपकी नौकरी के आखिरी 60 महीने का औसत वेतन 1 लाख रुपये.
–अब कैलकुलेशन होगा 1 लाख गुणा नौकरी के कुल साल. इसे 70 से भाग किया जाएगा.
–इस फॉर्मूले पर आपकी पेंशन बनेगी 50 हजार रुपये.
–अब समझे न कि पहले 7,500 रुपये पेंशन बन रही थी और अब 50 हजार की बनेगी. यानी 42,500 रुपये ज्यादा हो जाएगा।
सवाल – यदि मैं हायर पेंशन का विकल्प चुनता हूं तो मेरी मंथली टेक होम सैलरी पर क्या असर पड़ेगा?
इसका सैलरी पर कोई असर नहीं पडेगा
सवाल – फिर कर्मचारी पर असर कैसे होगा?
हां, इसका असर आपके रिटायरमेंट फंड पर जरूर होगा। जब कर्मचारी रिटायर होंगे तो उनके पीएफ खाते में जमा रकम हायर पेंशन का ऑप्शन चुनने की वजह से कम हो जाएगी। इसका मतलब हुआ आपके हाथ में आने वाली एकमुश्त रकम घट जाएगी, लेकिन पेंशन वाली रकम बढ़ जाएगी।
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सवाल – हायर पैंशन ले ya नहीं?
इस बदलाव का हर कर्मचारी पर अलग असर होगा और उन्हें अपने नफा-नुकसान को देखते हुए सही विकल्प चुनना चाहिए। इतना जरूर कह सकते हैं कि अगर आपकी नौकरी के कम साल बचे हैं और वेतन में ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं तो आपको फंड बनाने पर जोर देना चाहिए और पुरानी व्यवस्था के तहत अपने PF खाते में ज्यादा रकम जमा करानी चाहिए।
अगर नौकरी की शुरुआत कम वेतन पर हुई थी और अब आपको अच्छी-खासी सैलरी मिल रही है और नौकरी के कुछ साल बाकी भी हैं, तो EPS 95 फायदे का सौदा है और आपको जरूर चुनना चाहिए।Rewari: फुट ओवर ब्रिज के निर्माण के चलते व्यापारियों को नही होने देंगे परेशानी : अरविन्द यादव
यहां से कटेगा पैसा: पैंशन अशंदान का हिस्सा जो आपके पीएम खाते में है उसे यहां से निकालकर आपके पैंशन खाते मे डाल दिया जाएगा।
पहला कैलकुलेशन – (बिना हायर पेंशन के)
–1 लाख की सैलरी पर EPF में नियोक्ता का अंशदान हर महीने 10,750 रुपये यानी साल में 1.29 लाख रुपये.
–35 साल की नौकरी में नियोक्ता का पीएफ में कुल अंशदान 45.15 लाख रुपये.
–इस पर औसतन 8 फीसदी का ब्याज मान लिया जाए तो कुल रकम होगी 1,94,92,177 (1 करोड़ 94 लाख, 92 हजार 177) रुपये.
–यानी रिटायरमेंट पर नियोक्ता की तरफ आपके हाथ में 1,94,92,177 रुपये की रकम आएगी और हर महीने 7,500 रुपये की पेंशन मिलेगी।
दूसरा कैलकुलेशन – (हायर पेंशन के साथ)
–1 लाख की सैलरी पर EPF में नियोक्ता का अंशदान हर महीने 3,670 रुपये यानी साल में 44,040 रुपये.
–35 साल की नौकरी में नियोक्ता का पीएफ में कुल अंशदान 15,41,400 (15 लाख 41 हजार 400) रुपये.
–इस पर औसतन 8 फीसदी का ब्याज मान लिया जाए तो कुल रकम होगी 66,54,639 रुपये.
–यानी आप 1,28,37,538 (1 करोड़ 28 लाख 37 हजार 538) रुपये का योगदान करके 42,500 रुपये हर महीने पेंशन के तौर पर पाएंगे।
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जानिए सच्चाई: अगर आप 1,28,37,538 रुपये को 6 फीसदी रिटर्न वाली एफडी करा दें तो सिर्फ ब्याज के रूप में हर महीने 64,187 रुपये मिलेंगे और आपका पूरा पैसा भी सेफ रहेगा। हालांकि, यह पूरा कैलकुलेशन 35 साल तक एक समान सैलरी पर किया गया है, ताकि आप आसानी से समझ सकें।