गुरुग्राम में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़: साढ़े 22 लाख कैश बरामद, 17 कर्मी काबू-Best24News

गुरुग्राम: गुरुग्राम में फर्जी कॉल सेंटरो की भरभार हैं। कुछ दिन पहले भी एक फर्जी कॉल सेंटर का भांडाफोड हुआ था। वहीं एक बार सीएम फ्लाइंग, क्राइम ब्रांच और उद्योग विहार थाना पुलिस ने गुरूग्राम फर्जी कॉल भांडाफोड करते हुए 17 लोगों को भी काबू किया है।। कॉल सेंटर के जरिए अमेरिकी नागरिकों के साथ पिछले 4 माह से ठगी की जा रही थी। पुलिस ने साढ़े 22 लाख कैश और अन्य सामान बरामद किया है।

उद्योग विहार फेज-4 में चला रहा था खेल: सीएम फ्लाइंग को सूचना मिली थी कि गुरुग्राम के उद्योग विहार फेज-4 में बनी साइबिज कॉर्प नामक बिल्डिंग के एक से तीन फ्लोर तक फर्जी कॉल सेंटर चल रहे हैं। इसके बाद संयुक्त रूप से टीम गठित की गई। पुख्ता सूचना पर पुलिस ने रेड की तो ठीक उसी प्रकार की गतिविधियां चलती मिली, जैसी जानकारी मिली थी। पहले फ्लोर पर 28 युवक और 13 युवतियां, दूसरे फ्लोर पर 47 युवक और 14 युवतियां तथा तीसरे फ्लोर पर 31 युवक और 16 युवतियां अग्रेजी भाषा में हेडफोन लगाकर बात कर रही थीं। सभी के सामने कंप्यूटर सिस्टम थे।

कागजात नहीं किए पेश: टीम रेड के बाद पुलिस अधिकारियों ने कर्मचारियों से सेंटर संचालन के लिए आवश्यक कागजात मांगे, लेकिन कुछ भी पेश नहीं किया गया। जबकि पूछताछ करने पर वे सभी घबराए हुए थे।

ये किए काबू: सेक्टर-67 में रह रहे मूल रूप से अहमदाबाद निवासी देव प्रकाश उर्फ मोनू, दिल्ली के द्वारका निवासी अनिरुद्ध अग्रवाल, राहुल शर्मा, रानीबाग निवासी आशीष आनंद, सुभाष नगर निवासी गोविंद सिंह, गुरुग्राम के सेक्टर-48 में रह रहे मूल रूप से अहमदाबाद निवासी अनिस अनथेनी, बाबू राजन, शोविक सैन, दिल्ली के शास्त्री नगर निवासी विक्रम शर्मा, बसंत विहार निवासी शुभम सुनाम, कराला निवासी सुमित, आजाद नगर निवासी आयुष सिंघल, उत्तम नगर निवासी स्वर्णजीत सिंह, रमित विग, ओखला निवासी मनीष कुमार और मुनिरका निवासी नीमा वोंगदी शेरपा तथा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज निवासी अभिलाष कुमार को अरेस्ट कर लिया।

4 माह से चल रहा था: आरोपियों से हुई पूछताछ में पता चला कि कॉल सेंटर पिछले 4 माह से चलाया जा रहा था। कर्मचारी कनाडा और अमेरिका के नागरिकों के पास कंप्यूटर द्वारा पहले वॉइस मेल या पापअप भेजने के बाद माइक्रोसॉफ्ट टेक्निकल सपोर्ट देने के नाम पर 500 से 1000 डॉलर तक के गिफ्ट कार्ड खरीदवाते थे। कर्मचारियों को वेतन के अलावा कमीशन भी अलग से दिया जाता था। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो पाया कि कितने लोगों के साथ ठगी हुई और कितनी राशि वसूली गई।