Chhath Puja : Chhath Puja को पर्व नहीं बल्कि महापर्व कहा जाता है। नहाय खाय से शुरू होने वाले दिवसीय Chhath Puja मे बुधवार खरना मनाया गया। खरना छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दिन आस्था, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।
पहले पूर्वांचल के लोग ही इस महापर्व को मनाते थे। बिहार-यूपी के बाद अब देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी छठ महापर्व मनाया जाता है। ये चार दिनों का पर्व है। दिवाली के बाद से ही लोग छठ की तैयारी में जुट जाते हैं।
Chhath Puja: मंगलवार को पहले नहाय खाय किया वहीं बुधवार को खरना मनाया गया। खरना के दिन गड़ में बने हुए चावल की खीर खाने का विशेष महत्व है। खरना का अर्थ तन और मन का शुद्धिकरण बताया गया है। गुड़ चावल वाली खीर के अलावा खरना के प्रसाद में केला और रोटी भी रहता है।
खरना के बाद शुरू होता है निर्जल व्रत: बुधवार को दिन को खरना मनाय गया। खरना के दिन व्रती पूरे दिन निर्जल रहकर खीर और रोटी पकाती है। इसके बाद शाम को पूजा के बाद वहीं खीर और रोटी खाकर व्रती निर्जल व्रत का संकल्प लेतीं हैं।
इसके बाद शुरू होता है 36 से 38 घंटे का कठिन व्रत यानि खरना के बाद व्रती पानी भी नहीं पीती है।Chhath Puja
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जानिए क्या है खरना के नियम (Chhath Puja Kharna Niyam)
- इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाई जाती है। इसके लिए पीतल के बर्तन का प्रयोग किया जाता है।
- खीर के अलावा गुड़ की अन्य मिठाई, ठेकुआ और लड्डू आदि पकवान भी बनाए जाते हैं।
- खरना की यह खास खीर सिर्फ और सिर्फ व्रती इंसान ही बनाता है। पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम के समय व्रती व्यक्ति इसी गुड़ की खीर का सेवन करते हैं। Chhath Puja
- सबसे अहम बात यह है कि व्रत रखने वाला व्यक्ति कमरा बंद करके ही खीर का सेवन करता है। इसके बाद पूरा परिवार व्रती व्यक्ति से आशीर्वाद लेता है।
- शाम में केले के पत्ते पर खीर, के कई भाग किए जाते हैं। अलग-अलग देवी देवताओं, छठ मैय्या, सूर्यदेव का हिस्सा निकाला जाता है।
- छठी मैया का ध्यान करते हुए अर्पित करने के बाद व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं। कमरा बंद करके भोजन करती हैं।
- खरना के दिन जब व्रती गुड़ की खीर का भोग लगा लें तो परिवार के सभी लोग उनसे आशीर्वाद लेते हैं। Chhath Puja
- लगभग 36 घंटों का मुख्य व्रत आरंभ हो जाता है। जिसमें सुबह के अर्घ्य देने तक फिर अन्न जल कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- छठ का व्रत रखने वालों को भूमि पर शयन करना चाहिए। वह चारपाई पर नहीं सकता
- ब्रतधारी को पूर्ण ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। Chhath Puja 2rd Day Kharna