Delhi Court: बीकानेर दिल्ली के पटियाला हाउस जिला न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बीकानेर भुजिया उद्योग संघ के पक्ष में निर्णय दिया है। अदालत ने कानपुर (उत्तर प्रदेश) और सोनीपत (हरियाणा) की चार मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को “बीकानेरी भुजिया” नाम का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। Delhi Court
उद्योग संघ ने वर्ष 2008 में जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) एक्ट 1999 के तहत “बीकानेरी भुजिया” को पंजीकृत करवाया था। इसके बावजूद कुछ बाहरी कंपनियां अपने उत्पादों पर इस नाम का उपयोग कर रही थीं। Delhi Court
वाद में पेश किए गए दस्तावेजों से स्पष्ट हुआ कि कानपुर और सोनीपत स्थित इकाइयां अपने यहां बने नमकीन को “बीकानेरी भुजिया” के नाम से बेच रही थीं, जबकि उनका बीकानेर क्षेत्र से कोई संबंध नहीं था। Delhi Court
संघ के अधिवक्ता शैलेन भाटिया ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि GI रजिस्ट्री के अनुसार “बीकानेरी भुजिया” शब्द का प्रयोग केवल उन्हीं निर्माताओं को करने का अधिकार है जो बीकानेर क्षेत्र में स्थित हैं और संघ से अधिकृत हैं। Delhi Court Delhi Court
अदालत ने इन दलीलों को स्वीकारते हुए चारों कंपनियों के उत्पादों पर रोक लगाने का आदेश दिया। इसके साथ ही, कमीशनर ने दोनों शहरों की इकाइयों से बड़ी मात्रा में जब्त माल को सीज कर लिया, जिस पर “बीकानेरी भुजिया” अंकित था। Delhi Court
ये दिया आदेश: यह फैसला न केवल बीकानेर के पारंपरिक भुजिया उद्योग के लिए सुरक्षा कवच है, बल्कि GI टैग वाले अन्य भारतीय उत्पादों की प्रामाणिकता को भी मजबूती देता है। उपभोक्ताओं को अब यह भरोसा रहेगा कि “बीकानेरी भुजिया” नाम केवल बीकानेर में बने असली उत्पाद के लिए ही इस्तेमाल किया जाएगा। Delhi Court

















