Mock Drill: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बिगडते ही जा रहे है। दोनो देशो में युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं। दोनों देशों की फौजें कमर कसकर तैयार हैं। ऐसे में साफ जाहिर है कभी य़ुद्ध छिड सकता है। इसी को लेकर हिंदुस्तान ने तैयारी शुरू कर दी है।
होगी मोक ड्रिल: इसी के चलते भारत सरकार ने फैसला किया है कि 7 मई यानी बुधवार को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की जाएगी। बता दे कि अक्सर युद्ध व आपातकाल की स्थिति में इस तरह की ड्रिल की जाती है। बता दे कि इस दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाते हैं। ब्लैकआउट प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की ट्रेनिंग दी जाती है।
जानिए इन सवालों के Answar : आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या वाकई युद्ध होने वाला है? और इस तरह की ड्रिल पिछली बार कब हुई थी? सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्या है? इसमें क्या होता है? परेशान होने की जरूरत नहीं है। यहां हम आपके ऐसे ही सवालों आ रहे होगे। आइए जानते है इस सभी सवालों के जबाब।
बता दे इस मोक ड्रिल में स्थानीय प्रशासन, सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड, राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के वॉलिंटियर, नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) के मेंबर और स्कूल व कॉलेजों के स्टूडेंट्स शामिल होंगे।
मॉक ड्रिल कैसे की जाएगी?
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल को लेकर आज दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग हुई, जिसमें राज्यों के मुख्य सचिव और सेना प्रमुख समेत कई बड़े अफसर मौजूद थे। गृह मंत्रालय ने देश के कुछ जिलों (सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स) को युद्ध के दौरान बचाव के तरीकों की ड्रिल के लिए चिन्हित किया है।
सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स संवेदनशीलता के आधार पर तीन कैटेगरी में बांटे गए हैं।
कैटेगरी-1 सबसे संवेदनशील
कैटेगरी -2 संवेदनशील
कैटेगरी-3 कम संवेदनशील
मॉक ड्रिल: के तरीके यहां जाने
हवाई हमले का सायरन
मॉक ड्रिल के दौरान एयर स्ट्राइक/हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन (Air Raid Sirens) बजाया जाएगा। इमरजेंसी में यह अलार्म सिस्टम लोगों को हवाई हमले के प्रति सचेत करते हैं ताकि लोग सेफ प्लेस पर पहुंच जाएं।
Haryana मॉक ड्रिल के लिए प्रशासन ने दी सलाह
7 मई, 2025: सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के लिए, जनता से निम्नलिखित सुनिश्चित करने का आग्रह किया जाता है:
ड्रिल से पहले:
– रात को अपना फोन और पावर बैंक चार्ज कर लें।
– बुनियादी सामान/आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखें:
* बैटरी/सौर ऊर्जा से चलने वाली फ्लैशलाइट/टॉर्च, रेडियो, ग्लो स्टिक
* वैध आईडी कार्ड
* परिवार की आपातकालीन किट तैयार रखें: पानी, सूखा भोजन, बुनियादी दवाइयाँ।
– अलर्ट के बारे में जागरूकता:
* सायरन सिग्नल सीखें (जैसे लंबा निरंतर = अलर्ट: छोटा = सब साफ)
* आधिकारिक अपडेट के लिए रेडियो/टीवी देखते रहें (जैसे आकाशवाणी, दूरदर्शन)
– सुरक्षित क्षेत्र की तैयारी:
* आश्रय के रूप में सुरक्षित आंतरिक कमरे या तहखाने की पहचान करें।
* पारिवारिक अभ्यास का अभ्यास करें: लाइट बंद करें, 1-2 मिनट के भीतर सुरक्षित क्षेत्र में इकट्ठा हों।
– आपातकालीन नंबर नोट करें:
* – पुलिस: 112
* – अग्नि: 101
* – एम्बुलेंस: 120
– शाम 7 से 8 बजे तक लिफ्ट का उपयोग न करें। लिफ्टों को निष्क्रिय कर दें ताकि ब्लैकआउट के दौरान कोई असुविधा न हो।
– बुजुर्गों/ बच्चों को पहले से सूचित/तैयार करें।
अभ्यास के दौरान:
– अगर आपको हवाई हमले के सायरन या घोषणाएँ सुनाई दें – “यह एक अभ्यास है” तो घबराएँ नहीं।
– पुलिस, स्कूल अधिकारियों, या बिल्डिंग सुरक्षा या किसी अन्य सरकारी प्राधिकरण के निर्देशों का पालन करें
– तुरंत सुरक्षित क्षेत्र में इकट्ठा हों।
– ब्लैकआउट के दौरान:
* घर के अंदर रहें और खिड़कियों से दूर रहें। अगर आप गाड़ी चला रहे हैं, तो अपने वाहन को किनारे पर पार्क करें और लाइटें बंद कर दें। जहाँ हैं वहीं रहें और इधर-उधर न जाएँ।
* अलर्ट के दौरान सभी इनडोर और आउटडोर लाइटें बंद कर दें, जिसमें इन्वर्टर या वैकल्पिक बिजली आपूर्ति को डिस्कनेक्ट करना शामिल है। • ब्लैकआउट की घोषणा होने/सायरन चालू होने पर गैस/बिजली के उपकरण बंद कर दें।
- * यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चों, बुजुर्गों और पालतू जानवरों की हर समय निगरानी की जाए
- * खिड़कियों के पास फोन या एलईडी डिवाइस का इस्तेमाल न करें।
- * मोटे पर्दे का इस्तेमाल करें या खिड़कियों को कार्डबोर्ड/पैनल से ढकें।
- व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर असत्यापित जानकारी न फैलाएँ।
ड्रिल के बाद
जब तक अन्यथा निर्देश न दिया जाए, सामान्य गतिविधि फिर से शुरू करें।
अपनी प्रतिक्रिया स्थानीय आरडब्ल्यूए या प्रशासन के साथ साझा करें।
अपने आस-पास के बच्चों या बुजुर्गों से बात करें – उन्हें आश्वस्त करें कि यह सिर्फ़ तैयारी का उपाय था।
नोट: यह मॉक ड्रिल अभ्यास चिकित्सा प्रतिष्ठानों, यानी अस्पतालों और नर्सिंग होम पर लागू नहीं होता है। हालाँकि, उन्हें ड्रिल के दौरान सभी खिड़कियों को मोटे पर्दों से ढकना चाहिए
और सतर्क रहना चाहिए।
ड्रिल का उद्देश्य नागरिक आबादी को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार करना और ऐसी विकट स्थिति के दौरान बड़े पैमाने पर दहशत की संभावना को कम करना है।
















