Tiger अपने पिता के डर से इलाका छोड़ भटक रहा है जंगल में

TIGER

– 33 बाघ हैं अभी राजस्थान के सरिस्का रिजर्व टाइगर जोन में, 7 बाघ हैं नई टेरेटरी की खोज में
– शुक्रवार सुबह दिखाई दिया एसटी 2303, वन विभाग की टीम को देख जंगल में चला गया बाघ

Tiger : राजस्थान के अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व जोन से बाहर आकर रेवाड़ी से सटे झाबुआ के जंगल में चार दिन से घूम रहे  Tiger एसटी 2303 को सुबह करीब साढ़े पांच बजे तलाशी अभियान में जुटी वन विभाग की टीम को दिखाई दिया।

 

जंगल घना होने के चलते टीम Tiger  को ट्रैंक्वेलाइज नहीं कर पाई। टाइगर रिजर्व जोन में पैदा हुए बाघ का पिता ही उसका दुश्मन बना हुआ है। पिता के हमले से बचने के लिए बाघ सात माह पहले भी सरिस्का से रेवाड़ी से सटे जंगल में भाग आया था। कुछ दिन रहने के बाद वह फिर अपने पुराने इलाके में चला गया था।

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यह बाघ सरिस्का के सबसे खूंखार Tiger  एसटी-18 और एसटी-19 (मादा बाघ) की संतान है। इसकी एक बहन एसटी 2302 भी है। अभी एसटी-18 और एसटी-2302 के बीच नजदीकी बढ़ रही है। ऐसे में एसटी-18 प्रतिद्वंद्वी हो सकता है। Tiger  एसटी-2303 अभी पिता की टेरेटरी में ही घूम रहा था। उसे अपने पिता से लगातार चुनौती मिल रही थी।

 

यह भी एक वजह है कि उसे सरिस्का छोड़ना पड़ा। इससे पहले भी वह रेवाड़ी जा चुका है और जनवरी में वहां से वह ततारपुर, प्रतापबंध, डढ़ीकर और आसपास के क्षेत्र में घूम रहा था। सरिस्का टाइगर रिजर्व जोन में इस समय 33 बाघ हैं।

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इनमें से सात टेरेटरी की खोज में हैं। इन्हीं में एसटी-2303 भी शामिल है। बता दें कि सरिस्का के बाघों की पहचान के लिए उन्हें एसटी (सरिस्का टाइगर) नाम के साथ एक क्रमांक नंबर दिया गया है।

वन कर्मियों ने इसे नाम दिया है हरफनमौला

यूं तो सरकार के नियमों के अनुसार बाघ का नामकरण नहीं किया जा सकता है, लेकिन सरिस्का में तैनात वन विभाग के कर्मचारी अपनी जानकारी के हिसाब से इन्हें अपने हिसाब के नामों से जानते हैं। उन्होंने एसटी 2303 का नाम हरफनमौला रखा हुआ है।

जीव-जंतु तथा वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाघ हरफनमौला का व्यवहार बचपन से ही असामान्य रहा है। उसकी शुरू से ही आबादी के पास के खेतों में जाने की आदत थी, लेकिन सरिस्का की रिसर्च टीम इस बात की लगातार अनदेखी करती रही। बाघ अब नई टेरेटरी की तलाश में अपना पुराना ठिकाना बदल रहा है।

शुक्रवार को तलाशी अभियान के दौरान वन विभाग की टीम को बाघ की एक झलक दिखाई दी थी। बाघ झाबुआ के घने जंगल में सहजता से विचरण कर रहा है। इसे पकड़ने के लिए 100 वन कर्मियों की टीम लगी हुई है।
-शंकर सिंह शेखावत, वन अधिकारी अलवर

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