कैथल। हरियाणा के कैथल जिले के चुहड़ माजरा गांव के लिए यह दिन ऐतिहासिक बन गया, जब गांव को नई पहचान मिली और उसका नाम बदलकर ब्रह्मानंद माजरा कर दिया गया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गांव में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम के दौरान इसकी औपचारिक घोषणा की। CM Haryana ने बताया कि ग्राम पंचायत समिति की ओर से गांव का नाम बदलने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था, जिसे नियमानुसार स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। अब यह गांव सभी सरकारी और प्रशासनिक रिकॉर्ड में ब्रह्मानंद माजरा के नाम से जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि यह गांव जगद्गुरु ब्रह्मानंद की जन्मस्थली है। उनके विचारों, योगदान और समाज को दिए गए संदेश को सम्मान देने के उद्देश्य से गांव का नाम उनके नाम पर रखा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नाम परिवर्तन केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि इससे आने वाली पीढ़ियों को अपने महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी दस्तावेजों, नक्शों और सरकारी अभिलेखों में आवश्यक संशोधन शीघ्र पूरा किया जाए।
विकास के लिए 51 लाख रुपये की राशि जारी‘ कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने गांव के विकास को लेकर कई अहम घोषणाएं कीं। उन्होंने ब्रह्मानंद माजरा के समग्र विकास के लिए 51 लाख रुपये की राशि देने की घोषणा की। इसके साथ ही गांव में गुरु ब्रह्मानंद के नाम से एक आधुनिक पुस्तकालय स्थापित करने का ऐलान किया गया, जिससे छात्रों और युवाओं को पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहायता मिल सके।
गुरु ब्रह्मानंद के नाम पर विकसित होगा: बता दे अब इस गांव के मुख्य प्रवेश द्वार को गुरु ब्रह्मानंद के नाम पर विकसित करने के लिए 21 लाख रुपये की राशि स्वीकृत करने की घोषणा की। इसके अलावा अहैर-कुरान इसराना चौक का नाम भी गुरु ब्रह्मानंद के नाम पर रखने और उसके सौंदर्यीकरण व विकास के लिए 30 लाख रुपये देने की बात कही गई। ढांड-पूंडरी सड़क मार्ग का नामकरण भी गुरु ब्रह्मानंद के नाम से किए जाने की घोषणा की गई।
गुरुग्राम में बनेगा कोचिंग सैंटर: मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह भी जानकारी दी कि युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की बेहतर तैयारी का अवसर देने के लिए गुरुग्राम में गुरु ब्रह्मानंद जी के नाम से एक कोचिंग सेंटर खोला जाएगा। इसके लिए नियमानुसार प्लॉट उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य संतों और महापुरुषों की विरासत को शिक्षा, संस्कार और विकास से जोड़ना है।
















