Surajkund 2026: हरियाणा के फरीदाबाद में 2026 में आयोजित होने वाले 39वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला में भारतीय और विदेशी पर्यटक न केवल हस्तशिल्प के खूबसूरत नमूनों का आनंद लेंगे, बल्कि राष्ट्रीयता और सामाजिक संदेशों से भी जुड़े रहेंगे। इस मेले में रंगोली और पेंटिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा, जिनके विषय पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति से प्रेम, स्वच्छता अभियान, देशभक्ति, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और जल संरक्षण जैसे सामाजिक संदेश होंगे।
इस वर्ष मेले में बच्चों के लिए भी विशेष अवसर प्रदान किए जाएंगे। जिला शिक्षा विभाग के सहयोग से मेले के प्रांगण में स्थित थिएटर में कक्षा 8वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए गीत, नृत्य, कला और संस्कृति से जुड़े प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। लगभग 300 से अधिक बच्चों को प्रतिदिन अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। हरियाणा पर्यटन निगम का उद्देश्य बच्चों को सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक करना है। बच्चों के प्रदर्शन के माध्यम से पर्यटकों को समाजिक संदेश भी मिलेंगे।
मेले की तैयारियां और सांस्कृतिक भागीदारी
हरियाणा पर्यटन निगम ने मेले की तैयारियों को और तेज कर दिया है। इस वर्ष उत्तर प्रदेश और मेघालय को थीम राज्य घोषित किया गया है। आठ उत्तर-पूर्वी राज्यों में मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, नागालैंड, असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे। वहीं, मिस्र को इस मेले का साझेदार देश घोषित किया गया है। पिछले साल के मेले में थिएटर, जो गेट नंबर 2 के सामने स्थित है, में पांच हजार से अधिक लोग विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं।
पिछले मेले की सांस्कृतिक उपलब्धियां और आगंतुक
पिछले साल कुल 1,220 कारीगरों ने 27 राज्यों से भाग लिया। ओड़िशा और मध्य प्रदेश को थीम राज्यों के रूप में शामिल किया गया, जिनके 80 कारीगरों ने हस्तशिल्प प्रदर्शित किए। उत्तर-पूर्वी राज्यों के 30 स्टॉल और 40 फूड स्टॉल लगाए गए। 17 दिनों में इस मेले में 18.10 लाख पर्यटकों ने भाग लिया। मुख्य चौपाल में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जबकि थिएटर में बच्चों के कार्यक्रम होंगे। निजी और सरकारी स्कूलों के बच्चों को प्रदर्शन का अवसर मिलेगा और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। हरविंदर सिंह यादव, नोडल अधिकारी, सूरजकुंड मेला के अनुसार, इस मेले का उद्देश्य न केवल कला का प्रदर्शन है बल्कि सामाजिक संदेशों के माध्यम से बच्चों और पर्यटकों को जागरूक करना भी है।

















