मौसमदिल्लीबिहार विधानसभा चुनाव 2025CET 2025राजस्थानमनोरंजनराशिफलबिजनेसऑटो मोबाइलरेवाड़ीआध्यात्मिकअन्य

New Property Rule : पुश्तैनी प्रॉपर्टी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला ! इस प्रॉपर्टी पर नहीं होता बेटे का हक

On: May 17, 2025 7:17 AM
Follow Us:
New Property Rule

New Property Rule: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि परिवार का मुखिया (कर्ता) कानूनी जरूरतों जैसे कर्ज चुकाने या खेती की जमीन सुधारने जैसे कार्यों के लिए पैतृक संपत्ति बेचता है, तो पुत्र या अन्य हिस्सेदार इसे अदालत में चुनौती नहीं दे सकते . कोर्ट ने यह टिप्पणी 1964 में दाखिल एक पुराने मामले को खारिज करते हुए दी .

54 साल पुराने विवाद को SC ने किया खारिज
यह मामला 1964 में केहर सिंह नामक व्यक्ति द्वारा उनके पिता प्रीतम सिंह के खिलाफ दायर किया गया था . दोनों की मृत्यु के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा . कोर्ट ने कहा कि यदि एक बार यह साबित हो जाए कि बिक्री का कारण कानूनी आवश्यकता थी, तो यह बिक्री वैध मानी जाएगी और कोई भी हिस्सेदार उसे चुनौती नहीं दे सकता .

यह भी पढ़ें  Training: विद्यार्थियों को दी फायर फायटिंग की ट्रेनिंग

हिंदू कानून में कर्ता को संपत्ति बेचने का अधिकार
जस्टिस ए.एम. सप्रे और जस्टिस एस.के. कौल की बेंच ने कहा कि हिंदू कानून के अनुच्छेद 254(2) के तहत कर्ताओं को संपत्ति बेचने, रेहन रखने या यहां तक कि पुत्र-पौत्र के हिस्से बेचने का अधिकार भी है, बशर्ते कर्ज वैध और नैतिक हो . कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पारिवारिक व्यवसाय, कर्ज चुकाना या संपत्ति सुधारना जैसे कार्य ‘कानूनी आवश्यकताओं’ में आते हैं .

 

1962 में बेची गई थी 164 कैनाल जमीन
मामले में सामने आया कि प्रीतम सिंह ने 1962 में लुधियाना तहसील की 164 कैनाल जमीन दो व्यक्तियों को 19,500 रुपये में बेची थी . उनके पुत्र केहर सिंह ने इस बिक्री को अदालत में चुनौती दी, यह कहते हुए कि यह पैतृक संपत्ति है और बिना हिस्सेदार की अनुमति इसे नहीं बेचा जा सकता .

यह भी पढ़ें  Good News: फोन करते ही KMP Expressway पर पहुंचेगी एंबूलेंस

ट्रायल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का सफर

ट्रायल कोर्ट ने पहले पुत्र के पक्ष में फैसला सुनाया और बिक्री रद्द कर दी . लेकिन बाद में अपील कोर्ट ने देखा कि यह बिक्री कर्ज चुकाने के उद्देश्य से की गई थी, इसलिए उसने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलट दिया . मामला हाईकोर्ट पहुंचा और 2006 में हाईकोर्ट ने भी कहा कि कानूनी आवश्यकता होने पर कर्ता संपत्ति बेच सकता है .

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी रुख को बरकरार रखते हुए कहा कि कर्ताओं को परिवार की भलाई और कानूनी जरूरतों के लिए पैतृक संपत्ति बेचने का अधिकार है, और इस पर कोई भी हिस्सेदार आपत्ति नहीं कर सकता .

यह भी पढ़ें  Political News Haryana: पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चोटाला ने किए ठोस वादे,, हरियाणा की राजनीति में मची हलचल

 

कब वैध मानी जाती है संपत्ति की बिक्री?
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्ता निम्नलिखित कानूनी जरूरतों के लिए पैतृक संपत्ति का हस्तांतरण कर सकता है:

पारिवारिक कर्ज या ऋण का भुगतान
सरकारी देनदारियां
परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी
पुत्र-पुत्रियों के विवाह एवं संस्कार
गंभीर आपराधिक मामलों में बचाव के लिए खर्च
संपत्ति विवादों की लड़ाई या न्यायिक खर्च
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर
यह फैसला उन हजारों परिवारों के लिए मिसाल बनेगा, जहां पैतृक संपत्ति की बिक्री पर परिवार में विवाद होता है . अब अगर कर्ता की मंशा कानूनी जरूरत और भलाई की हो, तो उसका निर्णय पूरी तरह वैध माना जाएगा .

Best24News

ताज़ा हिंदी खबरों का विश्वसनीय स्रोत — Best24News पर पढ़ें राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, राजनीति, खेल, मनोरंजन, व्यवसाय, शिक्षा और टेक्नोलॉजी से जुड़ी हर जरूरी अपडेट। हम देते हैं तेज़, सटीक और निष्पक्ष खबरें, वह भी सरल और स्पष्ट भाषा में, ताकि आप हमेशा अपडेटेड रहें।

Join WhatsApp

Join Now

google-newsGoogle News

Follow Now