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Somwar Pradosh Vrat Katha: सोमवार प्रदोष व्रत की रहस्यमयी कथा, क्यों इस दिन शिव की कृपा कई गुना बढ़ जाती है?

On: November 17, 2025 8:57 AM
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Somwar Pradosh Vrat Katha: सोमवार प्रदोष व्रत की रहस्यमयी कथा, क्यों इस दिन शिव की कृपा कई गुना बढ़ जाती है?

Somwar Pradosh Vrat Katha: समस्त प्रदोष व्रतों में सोमवार का प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ और पूजनीय माना गया है। इसका कारण यह है कि प्रदोष व्रत सीधे तौर पर भगवान शिव को समर्पित है और सोमवार भी शिवजी का दिन माना जाता है। जब प्रदोष तिथि सोमवार के दिन पड़ती है, तो इसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। आज, 17 नवंबर 2025, को सोम प्रदोष व्रत है। इस दिन भक्तगण उपवास रखते हैं और प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर भगवान शिव हर कष्ट हर लेते हैं और जीवन में सौभाग्य, सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

सोमवार प्रदोष व्रत कथा, ब्राह्मणी और विदर्भ के राजकुमार की प्रेरक कहानी

सोमवार प्रदोष व्रत से संबंधित कथा के अनुसार, एक नगर में एक ब्राह्मण स्त्री रहती थी जिसके पति का देहांत हो चुका था। उसके पास कोई सहारा नहीं था, इसलिए वह प्रतिदिन सुबह अपने छोटे बेटे के साथ भिक्षा मांगने निकल जाती थी। इसी तरह वह मां-बेटे का पालन-पोषण कर रही थी। एक दिन भिक्षा मांगकर लौटते समय उसे मार्ग में एक घायल बालक मिला। करुणा से भरी उस ब्राह्मणी ने उसे घर ले जाकर उसकी सेवा-शुश्रूषा शुरू कर दी। धीरे-धीरे बालक की स्थिति सुधरी।

जब बालक ने होश संभाला तो उसने बताया कि वह विदर्भ राज्य का राजकुमार है। शत्रुओं ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था। किसी तरह वह जान बचाकर वहां से भाग निकला था और भटकते-भटकते इस ब्राह्मणी के आसरे आया था। ब्राह्मणी ने उसे पुत्रवत आश्रय दिया। राजकुमार भी कृतज्ञ भाव से वहीं रहने लगा और ब्राह्मणी के घर का सदस्य बन गया।

गंधर्व कुमारिका का प्रेम और भगवान शिव का दिव्य आदेश

उसी समय एक दिन गंधर्व कन्या अंशुमती ने राजकुमार को देखा और उसे उससे प्रेम हो गया। अगले दिन वह अपने माता-पिता को भी राजकुमार से मिलने लाई। राजकुमार का चरित्र, विनम्रता और तेज देखकर अंशुमती के माता-पिता भी प्रसन्न हुए। रात में गंधर्व दंपत्ति को भगवान शिव ने स्वप्न में आदेश दिया कि वे अपनी कन्या का विवाह उसी राजकुमार से करें। शिव के आदेश को मानते हुए उन्होंने विधि-विधान से गंधर्व कन्या और राजकुमार का विवाह संपन्न कराया। इधर ब्राह्मणी हर प्रदोष व्रत श्रद्धापूर्वक करती थी, और उसके तप व व्रत की शक्ति से राजकुमार के जीवन में शुभ परिवर्तन आने लगे।

विवाह के बाद गंधर्व राजा ने अपनी सेना को राजकुमार की सहायता के लिए भेजा। शक्तिशाली गंधर्व सेना की मदद से राजकुमार ने अपने राज्य पर फिर से अधिकार प्राप्त किया, अपने पिता को मुक्त करवाया और शत्रुओं को परास्त कर राज्य का संचालन पुनः संभाल लिया।

व्रत का फल : ब्राह्मणी का परिवर्तन और शिव कृपा का प्रभाव

राज्य वापस प्राप्त करने के बाद राजकुमार ने अपनी सफलता का संपूर्ण श्रेय ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत को दिया। उसने ब्राह्मणी को अपनी माता के समान सम्मान दिया और उसके पुत्र को अपना प्रधान मंत्री नियुक्त कर दिया। इस प्रकार प्रदोष व्रत के प्रभाव से न केवल राजकुमार का भाग्य बदला, बल्कि ब्राह्मणी और उसके पुत्र का जीवन भी समृद्धि से भर गया।

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। जिस तरह ब्राह्मणी की भक्ति और व्रत ने राजकुमार और उसके पुत्र दोनों का भाग्य संवार दिया, उसी प्रकार जो भी भक्त श्रद्धा, निष्ठा और पवित्र भाव से इस व्रत का पालन करता है, भगवान शिव उसके जीवन में भी चमत्कारिक परिवर्तन लाते हैं और सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करते हैं।

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