success story: भारत में IAS का पद सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक है। इस पद को हासिल करने वाले व्यक्ति को देशभर में पहचाना जाता है। IAS अधिकारी देश के विकास, नीतियों को लागू करने और जनता की सेवा में अहम भूमिका निभाते हैं। देशभर में लाखों लोग इस पद पर पहुंचना चाहते हैं, लेकिन, लाखों उम्मीदवारों में से कुछ ही लोग इस प्रतिष्ठित पद तक पहुंच पाते हैं क्योंकि सपनों की कोई भी मंजिल हासिल करना आसान नहीं होता।success story
जब बात UPSC की आती है तो सफलता का सफर अक्सर कठिन होता है, लोग इस परीक्षा को पास करने के लिए सालों मेहनत करते हैं, दिन-रात पढ़ाई करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपनी प्रतिभा और दृढ़ निश्चय के बल पर कम समय में ही इस कठिन राह को पार कर लेते हैं। सौम्या शर्मा ऐसी ही एक प्रेरणास्रोत हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से कम समय में ही IAS परीक्षा में सफलता हासिल की। उनकी कहानी एक प्रेरणा है, जो हमें बताती है कि अगर हमारे अंदर आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है –
चार महीने की तैयारी में हासिल की सफलता –
आपको जानकर हैरानी होगी कि सौम्या शर्मा ने अपनी असाधारण मेहनत और प्रतिभा का परिचय देते हुए (IAS सौम्या शर्मा) महज चार महीने की तैयारी में IAS प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली और देश में नौवीं रैंक हासिल की। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने 2017 में IAS परीक्षा देने का फैसला किया और अपने पहले ही प्रयास में यह प्रतिष्ठित पद हासिल कर लिया।success story
सुनने की क्षमता खोने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी –
सौम्या शर्मा एक प्रेरणा हैं, जिनकी कहानी यह साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और जुनून से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी सुनने की क्षमता खो दी (IAS सौम्या शर्मा सक्सेस स्टोरी), यह एक ऐसा झटका है जो किसी भी व्यक्ति के लिए विनाशकारी हो सकता है। लेकिन सौम्या ने हार नहीं मानी।
उन्होंने अपने सपने को जिंदा रखा और मन में IAS बनने का लक्ष्य बनाया और दिन-रात मेहनत करके अपने लक्ष्य को हासिल किया। 10 से 15 घंटे पढ़ाई – सौम्या के पास अपनी परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत कम समय था। परीक्षा नजदीक आ रही थी और उसे पता था कि उसे सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। जिसके चलते वह हर दिन कम से कम 10 से 15 घंटे पढ़ाई करती थी। उसके पास कोचिंग सेंटर जाने के लिए समय या पैसे नहीं थे, फिर भी उसने सेल्फ स्टडी के जरिए अपना लक्ष्य हासिल किया।
















