CIBIL Score Rules: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में सिबिल स्कोर (CIBIL Score) से जुड़े नए नियम लागू किए हैं जो देशभर के करोड़ों बैंकिंग ग्राहकों के लिए राहत की खबर लेकर आए हैं। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य क्रेडिट स्कोर को अधिक पारदर्शी (transparent) और समझने योग्य बनाना है ताकि आम ग्राहक भी अपनी वित्तीय स्थिति को अच्छे से समझ सकें और जरूरत पड़ने पर सुधार कर सकें। खासतौर पर वे लोग जो अपनी ईएमआई (EMI) समय पर चुकाना चाहते हैं और अपने क्रेडिट इतिहास (credit history) को साफ-सुथरा बनाए रखना चाहते हैं उनके लिए ये बदलाव बेहद फायदेमंद साबित होंगे।
सिबिल स्कोर क्यों है जरूरी?
भारत में जब भी कोई व्यक्ति लोन (loan) या क्रेडिट कार्ड (credit card) लेने की कोशिश करता है तो बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान सबसे पहले उसके क्रेडिट स्कोर की जांच करते हैं। यह स्कोर 300 से 900 के बीच होता है और जितना अधिक स्कोर होगा उतनी ही ज्यादा संभावना रहती है कि बैंक आसानी से लोन मंजूर कर दे। 750 या इससे ऊपर का स्कोर आदर्श माना जाता है जबकि 600 से कम स्कोर वाले ग्राहकों को लोन मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
अब तक कई ग्राहकों को यह शिकायत थी कि क्रेडिट स्कोर को अपडेट (update) करने की प्रक्रिया काफी धीमी थी और उन्हें अपनी वित्तीय स्थिति का सही आकलन करने में कठिनाई होती थी। लेकिन अब आरबीआई (RBI) द्वारा किए गए नए बदलावों से ग्राहकों को इस परेशानी से राहत मिलेगी।
क्या हैं सिबिल स्कोर के नए नियम?
हर 15 दिन में अपडेट होगा क्रेडिट स्कोर
पहले ग्राहकों को अपने सिबिल स्कोर अपडेट होने के लिए महीनों तक इंतजार करना पड़ता था लेकिन अब यह हर 15 दिन में अपडेट होगा। इसका मतलब यह है कि आपके किसी भी वित्तीय बदलाव (financial changes) को जल्दी से पहचान लिया जाएगा और आपकी क्रेडिट रिपोर्ट (credit report) में सही तरीके से दर्शाया जाएगा।
क्रेडिट स्कोर चेक करने पर तुरंत मिलेगी सूचना
अब जब भी कोई बैंक या वित्तीय संस्थान आपके क्रेडिट स्कोर को चेक करेगा आपको इसकी जानकारी तुरंत दी जाएगी। इससे आप अपने वित्तीय प्रोफाइल (financial profile) की निगरानी (monitoring) बेहतर तरीके से कर सकेंगे और किसी भी गलत एंट्री (entry) को समय पर सुधारवा सकेंगे।
लोन अस्वीकृति की वजह बतानी होगी बैंक को
अगर आपका लोन आवेदन (loan application) किसी कारणवश अस्वीकृत (rejected) किया जाता है तो अब बैंक को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि ऐसा क्यों किया गया। पहले ग्राहकों को यह नहीं बताया जाता था कि उनका लोन क्यों रिजेक्ट (reject) हुआ जिससे वे सुधार करने में असमर्थ रहते थे। लेकिन अब इस नियम के तहत ग्राहकों को पारदर्शिता (transparency) मिलेगी और वे अपने क्रेडिट स्कोर को बेहतर बना सकेंगे।
हर साल मिलेगी एक मुफ्त क्रेडिट रिपोर्ट
भारतीय रिजर्व बैंक ने आदेश दिया है कि सभी ग्राहकों को साल में कम से कम एक बार मुफ्त (free) क्रेडिट रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। इससे ग्राहकों को अपने वित्तीय स्वास्थ्य (financial health) को समझने और समय पर सुधार करने का मौका मिलेगा।
ईएमआई देरी होने पर मिलेगी अग्रिम सूचना
यदि कोई ग्राहक अपनी ईएमआई समय पर नहीं चुका पा रहा है तो उसे पहले से ही एक सूचना भेजी जाएगी ताकि वह समय रहते उचित कदम उठा सके और अपने सिबिल स्कोर को खराब होने से बचा सके।
क्रेडिट संबंधी शिकायतों का 30 दिनों में निपटारा अनिवार्य
अब कोई भी वित्तीय संस्थान या बैंक ग्राहक की क्रेडिट स्कोर से जुड़ी शिकायतों को 30 दिनों के भीतर हल करने के लिए बाध्य होगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो संबंधित बैंक या वित्तीय संस्था पर जुर्माना लगाया जाएगा।
आम जनता के लिए कितना फायदेमंद हैं ये बदलाव?
यह बदलाव खासतौर पर उन लोगों के लिए काफी मददगार साबित होंगे जो ईमानदारी से अपनी ईएमआई का भुगतान करना चाहते हैं और अपने क्रेडिट इतिहास को बेहतर बनाए रखना चाहते हैं। पहले ग्राहकों को क्रेडिट स्कोर की सही जानकारी समय पर नहीं मिल पाती थी लेकिन अब हर 15 दिन में अपडेट होने से वे तुरंत अपने वित्तीय निर्णयों में सुधार कर सकते हैं।
इसके अलावा मुफ्त क्रेडिट रिपोर्ट (free credit report) से आम आदमी को अपने वित्तीय व्यवहार को समझने में आसानी होगी। अगर कोई ग्राहक गलती से ज्यादा उधारी ले लेता है तो वह अपनी क्रेडिट रिपोर्ट देखकर समय पर सुधार कर सकता है।

















