Success Story: अगर इंसान कुछ बड़ा करने की ठान ले और अपने सपने को पूरा करने के लिए जोखिम (Risk) उठाने से न डरे तो सफलता उसके कदम जरूर चूमती है। यही कहानी है 28 वर्षीय आरुषि अग्रवाल की जिन्होंने एक करोड़ रुपये के नौकरी के प्रस्ताव (High package job) को ठुकरा दिया और अपने स्टार्टअप टैलेंटडिक्रिप्ट (TalentDecrypt) के जरिए करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी। गाजियाबाद के नेहरू नगर से शुरू हुई उनकी यह यात्रा आज दुनियाभर के देशों में अपना नाम कमा रही है।
कड़ी मेहनत का मिला फल
आरुषि का जन्म मुरादाबाद में हुआ और उन्होंने नोएडा के एक निजी कॉलेज से बीटेक और एमटेक की पढ़ाई की। 2018 के अंत में, उन्होंने कोडिंग सीखना शुरू किया और सिर्फ डेढ़ साल में अपने सॉफ्टवेयर टैलेंटडिक्रिप्ट (Software TalentDecrypt) को विकसित किया। उनके इस प्रयास ने उन्हें नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, और भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा देश की 75 महिला उद्यमियों में पुरस्कार भी मिला।
नौकरियों को ठुकराना
आरुषि ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई जेपी इंस्टीट्यूट से की और आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) में इंटर्नशिप भी की। उन्हें दो बार एक करोड़ रुपये की बड़ी सैलरी का प्रस्ताव मिला, लेकिन उन्होंने उन अवसरों को ठुकरा दिया। इसके बजाय, उन्होंने अपनी खुद की कंपनी खोलने का साहसिक निर्णय लिया।
छोटी पूंजी में बड़ा सपना
2020 में कोरोना महामारी के दौरान, आरुषि ने एक लाख रुपये की राशि से अपना कारोबार शुरू किया। उन्होंने इस पूंजी के साथ टैलेंटडिक्रिप्ट को लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य कोडिंग (Coding Business idea) करने वाले उम्मीदवारों और उनकी संभावित भूमिकाओं के बीच सही मिलान सुनिश्चित करना है। टैलेंटडिक्रिप्ट की खासियत इसके कड़े सुरक्षा फीचर्स हैं, जो रिमोट जॉब असेसमेंट के दौरान अनधिकृत उपकरणों के उपयोग को रोकते हैं।
कंपनी से मिलती है ये सुविधाएँ
आरुषि की कंपनी युवाओं को उनकी मनचाही नौकरी दिलाने में मदद करती है। वर्तमान में, अमेरिका, जर्मनी, सिंगापुर, यूएई, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, नेपाल और अन्य देशों की 380 कंपनियां टैलेंटडिक्रिप्ट की सेवाओं (Success story in Hindi) का लाभ उठा रही हैं। युवाओं को हैकाथॉन के जरिए वर्चुअल स्किल टेस्ट से गुजरना पड़ता है, और अब तक सैकड़ों युवा टैलेंटडिक्रिप्ट के माध्यम से नौकरी पा चुके हैं।

















