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Kisan News: किसान भाइयों के लिए बड़ी खुशखबरी! अपने खेत में करें इस पेड़ की खेती, होगा लाखों रुपए का मुनाफा

On: June 15, 2025 10:19 AM
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Great news for farmer brothers! Cultivate this tree in your field, you will earn profits worth lakhs of rupees

Kisan News: अगर आपके पास गांव या शहर में कहीं भी जमीन है और आप धैर्यवान व्यक्ति हैं, तो आज हम आपको जिस पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं, वह लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए एकदम सही विकल्प होगा। इसे दुनिया का सबसे महंगा पेड़ माना जाता है। हम बात कर रहे हैं अफ्रीकन ब्लैकवुड की। इस पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल महंगे फर्नीचर और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनाने में किया जाता है। यह काफी मजबूत होती है, जिसकी वजह से हाई एंड वुडन प्रोडक्ट बनाने में इसकी डिमांड काफी ज्यादा है।Kisan News

लेकिन इस पौधे को पेड़ बनने में काफी समय लगता है, इसलिए कोई भी इसे जल्दी नहीं उगा पाता। इतना ही नहीं, जहां इसकी बागवानी की जाती है, वहां इसके संरक्षण के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं क्योंकि चंदन की तरह इसकी भी काफी कालाबाजारी होती है। इन वजहों से कोई भी इसे जल्दी उगाने के बारे में नहीं सोचता। आइए इस पेड़ के बारे में विस्तार से जानते हैं।Kisan News

अफ्रीकन ब्लैकवुड, जिसे डालबर्गिया मेलानोक्सिलॉन के नाम से भी जाना जाता है, तंजानिया, मोजाम्बिक और केन्या जैसे पूर्वी अफ्रीकी देशों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इस पेड़ की लकड़ी बहुत घनी, मजबूत और टिकाऊ होती है और इसका गहरा काला या काला-भूरा रंग इसे अन्य लकड़ियों से अलग बनाता है। अफ्रीकी ब्लैकवुड का उपयोग मुख्य रूप से उच्च गुणवत्ता वाले संगीत वाद्ययंत्र जैसे शहनाई, बांसुरी, ओबो और बासून बनाने के लिए किया जाता है।

इसकी ध्वनि की गुणवत्ता इतनी अच्छी होती है कि इसे संगीतमय लकड़ी भी कहा जाता है। इसके अलावा, इसका उपयोग महंगे फर्नीचर, लग्जरी ज्वेलरी, मूर्तियां और सजावटी सामान बनाने के लिए भी किया जाता है। यह लकड़ी अपनी मजबूती, बढ़िया फिनिश और लंबे समय तक टिकने की क्षमता के कारण बहुत महंगी मानी जाती है।

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भारत में अफ्रीकी ब्लैकवुड की स्थिति और कीमत

भारत में अफ्रीकी ब्लैकवुड प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता है। इसके पौधों को कुछ शोध संस्थानों और चुनिंदा निजी नर्सरियों में प्रयोगात्मक रूप से उगाया गया है, लेकिन इसकी खेती बड़े पैमाने पर नहीं की जाती है। इसकी खेती के लिए एक खास तरह की गर्म और शुष्क जलवायु, कम वर्षा और खास मिट्टी की जरूरत होती है जो अफ्रीकी इलाकों में पाई जाती है।

भारत में अफ्रीकी ब्लैकवुड का एक छोटा पौधा करीब 1000 रुपये से 5,000 रुपये में खरीदा जा सकता है, लेकिन उपलब्धता बहुत सीमित है। एक परिपक्व पेड़ (जिसे परिपक्व होने में 50-60 साल लगते हैं) से प्राप्त लकड़ी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 8 लाख रुपये से लेकर 12 लाख रुपये प्रति घन मीटर तक होती है। 1 घन मीटर लकड़ी का मतलब है 1 मीटर लंबा, चौड़ा और मोटा। इस पूरे पेड़ की कीमत 7-8 करोड़ रुपये हो सकती है। अगर इसे भारत में आयात करना पड़े तो लागत और भी बढ़ जाती है, क्योंकि इसमें भारी कस्टम ड्यूटी और लॉजिस्टिक्स खर्च भी जुड़ जाता है।ujy

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यह इतना महंगा क्यों है?

  • इसकी लकड़ी बहुत घनी और मजबूत होती है, जिसकी वजह से यह टूटती या मुड़ती नहीं है।
  • स्वाभाविक रूप से इसकी उपलब्धता बहुत कम हो गई है।
  • पेड़ को बढ़ने में कई दशक लगते हैं, जिसका मतलब है कि आपूर्ति बहुत सीमित है।
  • उच्च गुणवत्ता वाले संगीत वाद्ययंत्रों में इसका कोई विकल्प नहीं है।
  • कई देशों ने इसकी कटाई और निर्यात पर सख्त प्रतिबंध भी लगाए हैं।

 

Sunil Chauhan

मै पिछले दस साल से पत्रकारिता में कार्यरत हूं। जल्दी से जल्दी देश की की ताजा खबरे को आम जनता तक पहुंचाने के साथ समस्याओं को उजाकर करना है।

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