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Delhi Pollution: क्या पछुवा हवाओं की गैरमौजूदगी दिल्ली की जहरीली हवा की सबसे बड़ी वजह है?

On: December 18, 2025 1:36 PM
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Delhi Pollution: क्या पछुवा हवाओं की गैरमौजूदगी दिल्ली की जहरीली हवा की सबसे बड़ी वजह है?

Delhi Pollution: दिल्ली की हवा नैनीताल की तुलना में दस गुना अधिक व्यवस्थित हो गई है। बुधवार को दिल्ली में PM 2.5 की मात्रा 156 थी, जबकि नैनीताल में 15 थी। CUPI दिल्ली में अर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज़ के PM 2.5 की जांच करने वाले उपकरण लगाए गए हैं। दिल्ली कार्बन में बढ़ते प्रदूषण के बीच नैनीताल सहित आसपास के पर्यटन स्थलों में आफ सीजन पर्यटकों की आमद से फायदेमंद खुश हैं।

दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक के कई कारण हैं, जैसा कि एरीज़ के वरिष्ठ शोधकर्ता विज्ञानी डा. नरेंद्र सिंह ने बताया। इनमें से एक बड़ा प्राकृतिक कारण हवा की मंद गति है, जो दिल्ली की हवा में चलते प्रदूषण से लगभग गायब हो गया है। साथ ही, हवा की गति बढ़ाने वाले कार्बन रूठे लगते हैं। पछुवा हवाओं की दर 25 किमी प्रति घंटे से अधिक होती है, जो नैनीताल की तरह दो हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर चलती है। हिमालय से लगे पर्वतीय क्षेत्रों में वायु प्रदूषण इन दिनों सामान्य से बहुत नीचे पहुंच गया है।

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दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में उद्योग धंधों का धुआं, अत्यधिक वाहनों के कूड़े का जलना और ठंड से बचने के लिए अलाव आदि कारणों से दिल्ली एनसीआर में हवा की स्थिति खराब हो गई है। जापान के सहयोग से एरीज ने दिल्ली के कई जगहों पर कॉम्पैक्ट उपयोगी 2.5 उपकरण लगाए हैं। अमेरिका के एंबेसी में स्थित CUPI में बुधवार को पार्टिकुलेट मैटर 2.5 की मात्रा 156 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर थी। जबकि AQI छह प्रमुख प्रदूषकों के मिश्रण को मापता है, जिनमें पार्टिकुलेट मैटर PM 2.5 के अलावा PM 10, ओजोन, नाइट्रोजन डाइआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और शीशा हैं, जो हवा की गुणवत्ता को दर्शाते हैं।

हिमालय से दिल्ली तक PM 2.5 का दृश्य है

डा. नरेंद्र सिंह ने बताया कि एरीज दिल्ली और हिमालय की हवा पर नजर रख रहा है। PM 2.5 की जांच करने वाला उपकरण CUPI हिमालय क्षेत्र में लगाया गया है, साथ ही दिल्ली में भी कई जगहों पर लगाया गया है। इन उपकरणों का उद्देश्य एरीज़ के विज्ञानियों की खोज करना है।

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एक्यूआई में मौजूद खतरनाक गैस

पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 ठोस कण और तरल संरचनाएं हैं जो हवा में घुसकर फेफड़ों में गहराई तक विनिर्देश हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं। ओजोन भूमि स्तर पर बनने वाली गैसों को खुलता है, जो श्वसन समस्याओं को खुलता है। नाइट्रोजन डाइआक्साइड एक गैस है जो श्वास और औद्योगिक गतिविधियों से निकलती है, जो सांस पर प्रभाव डालती है। सल्फर डाइआक्साइड ठोस ईंधन के जलने से निकलने वाली गैस आपकी सेहत को खराब करती है। कार्बन मोनोआक्साइड एक रंगहीन और गंधहीन गैस है जो श्वास और औद्योगिक गतिविधियों से निकलती है और स्वास्थ्य के लिए बहुत खराब है। औद्योगिक अवधारणाओं और पुराने स्वयंसेवकों से सीसा व्यवस्थित है, जो स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है।

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पर्यटक खराब हवा से छुटकारा पा रहे हैं

दिल्ली कार्बन की संरचनाएं हवा के कारण बहुत से लोग नैनीताल सहित पहाड़ी क्षेत्रों में जाते हैं। इस छुट्टी पर शुक्रवार से रविवार तक 20 हजार से ज्यादा लोग नैनीताल पहुंचे, जबकि दिल्ली-ग्राम के आसपास के पर्यटन स्थल जैसे मुक्तेश्वर, रामगढ़, नौकुचियाताल, पगोठ और कैंची धाम भी सैलानियों से भर गए। पर्यटन व्यवसायी रुचिर साह ने बताया कि इन दिनों बड़ी संख्या में मैदानी क्षेत्रों से सैलानी यहां आ रहे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या में दिल्ली-ग्राम के लोग हैं, जो स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए आ रहे हैं। रामगढ़ मुक्तेश्वर से धानाचूली तक होम स्टे, फ्लैट्स और कमरे समय से पहले खुले हैं।

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