Delhi Pollution: दिल्ली और उत्तर भारत के बड़े इलाकों में इन दिनों भारी धुंध है। दिल्ली का AQI मंगलवार दोपहर 4 बजे 437 तक पहुंच गया था, जबकि बुधवार सुबह 8 बजे यह 370 था। लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं, स्कूल बंद हो रहे हैं और सांस लेना मुश्किल हो रहा है।
साथ ही, चीन की दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट पोस्ट की, जिसमें बीजिंग की सुंदर हवा को दिल्ली की बुरी हवा से तुलना की। सोमवार शाम को यू जिंग में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने लिखा, “चीन और भारत दोनों तेज शहरीकरण के बीच वायु प्रदूषण के संघर्ष को अच्छी तरह जानते हैं।””
उनके पास बीजिंग और आसपास के क्षेत्रों में मध्यम हवा की गुणवत्ता वाली AQI की तस्वीरें थीं। साथ ही, दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों का AQI 447 था, जो खतरनाक श्रेणी में आता है।
एक दशक के निरंतर प्रयत्नों का परिणाम
यू जिंग ने कहा कि चीन ने पिछले दस साल में निरंतर प्रयासों से यह फर्क हुआ है। उनका लेख था, “हम एक छोटी सीरीज शेयर करेंगे, जिसमें बताया जाएगा कि चीन ने वायु प्रदूषण से कैसे लड़ाई लड़ी है।”
यह लेख सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। कई उपयोगकर्ताओं ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया और दिल्ली की खराब हवा की स्थिति पर चिंता व्यक्त की।
प्रदूषण के खिलाफ चीन की जीत कैसे हुई?
2013 में, चीन ने ‘प्रदूषण पर युद्ध’ शुरू किया और एक राष्ट्रीय स्वच्छ हवा एक्शन प्लान बनाया। इसमें क्षेत्रीय लक्ष्यों का निर्धारण किया गया था और स्थानीय अधिकारियों पर उन लक्ष्यों को पूरा करने का दबाव डाला गया था। PM2.5 स्तर को कम करने पर खास जोर दिया गया।
इसके साथ ही AQI की निगरानी बढ़ी। डेटा छेड़छाड़ को रोकना सबसे महत्वपूर्ण कदम था। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कोयला था, खासकर छोटे घरों में गर्मी के लिए। चीन ने बीजिंग को कोयले के स्थान पर गैस आधारित बिजली और हीटिंग प्लांट पर बदल दिया।

















