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Climate Risk: जलवायु आपदाओं से जूझता भारत, पिछले तीन दशकों में 80 हजार से अधिक लोगों की मौत

On: November 12, 2025 9:24 AM
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Climate Risk: जलवायु आपदाओं से जूझता भारत, पिछले तीन दशकों में 80 हजार से अधिक लोगों की मौत

Climate Risk: भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक बन गया है। जर्मनवॉच (Germanwatch) नामक पर्यावरणीय थिंक टैंक द्वारा COP30 सम्मेलन (बेलेम, ब्राजील) में जारी क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CRI) 2026 रिपोर्ट के अनुसार, भारत पिछले 30 वर्षों में जलवायु आपदाओं से प्रभावित देशों में नौवें स्थान पर है। 1995 से 2024 के बीच भारत में लगभग 430 चरम मौसमी घटनाएं — सूखा, बाढ़, चक्रवात और हीटवेव — दर्ज की गईं, जिनमें 80,000 से अधिक लोगों की मौत हुई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इन आपदाओं के कारण भारत को लगभग 170 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की सबसे बड़ी समस्या यह है कि ये आपदाएं अब “कभी-कभार होने वाली घटनाएं” नहीं रहीं, बल्कि “हर साल होने वाली त्रासदियां” बन गई हैं। देश में बाढ़, सूखा, चक्रवात और गर्मी की लहरें (heatwaves) अब नियमित रूप से सामने आ रही हैं। रिपोर्ट में 1998 का गुजरात चक्रवात, 1999 का ओडिशा सुपर चक्रवात, 2013 की उत्तराखंड बाढ़, और हाल की घातक गर्मी की लहरों को भारत के सबसे बड़ी जलवायु त्रासदियों के उदाहरण के रूप में गिनाया गया है। इन आपदाओं ने न केवल हजारों लोगों की जान ली, बल्कि सड़कों, स्कूलों और कृषि ढांचे जैसी विकास परियोजनाओं को भी भारी नुकसान पहुंचाया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि इन लगातार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं ने भारत की विकास दर को धीमा कर दिया है। जब नई सड़कों, पुलों, स्कूलों और खेतों पर बाढ़ या चक्रवात का असर होता है, तो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ जाती है। भारत की बड़ी आबादी (लगभग 1.4 अरब लोग) और मानसून की अनिश्चितता भी देश को जलवायु आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में ही भारत में भारी मानसूनी वर्षा और फ्लैश फ्लड्स के कारण 8 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए, जिनमें गुजरात, महाराष्ट्र और त्रिपुरा सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहे।

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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया भर में 1995 से 2024 के बीच 9,700 से अधिक चरम मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 8.3 लाख लोगों की मौत हुई और लगभग 5.7 अरब लोग प्रभावित हुए। इन आपदाओं से वैश्विक स्तर पर लगभग 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन दशकों में डोमिनिका (Dominica) सबसे अधिक प्रभावित देश रहा, जबकि उसके बाद म्यांमार, होंडुरास, लीबिया, हैती, ग्रेनेडा, फिलीपींस, निकारागुआ, भारत और बहामास का स्थान रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत ने अभी से कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने, हरित ऊर्जा अपनाने और जलवायु अनुकूल नीतियों पर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले वर्षों में इन आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता और भी बढ़ सकती है।

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