Chandigarh High court News : जम्मू-कश्मीर में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका पर आज सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट नई नीतियां नहीं बना सकता। ये काम सरकार का है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शील नागू ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उन्हें शहीद घोषित करना अनुच्छेद 226 के अंतर्गत आता है? अगर ऐसा है तो उदाहरण देकर बताइये। क्या कोर्ट ऐसा फैसला ले सकती है?
यह फैसला तो सरकार को लेना चाहिए, यह उनका काम है। इसका जवाब देते हुए याचिकाकर्ता एडवोकेट आयुष आहूजा ने कहा कि निर्दोष पर्यटकों को धर्म के नाम पर आतंकवादियों ने सिर पर गोली मार दी, उन्हें एक सैनिक की तरह उनका सामना करना चाहिए। Chandigarh High court News
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की बैच बताया कि वह अपनी मांग या शिकायत उचित अधिकारी या अथॉरिटी को लिखकर दे। इसके बाद 30 दिन के अंदर उसकी मांग पर विचार किया जा सकता है। । दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में करनाल के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की भी मौत हुई थी। वह अपनी पत्नी हिमांशी के साथ हनीमून पर गए हुए थे। Chandigarh High court News
फैसला रखा था सुरक्षित: चीफ जस्टिस शील नागू ने पहले सुनवाई के दौरान कहा था कि भले ही कोई सैनिक मर जाए, उन्हें पुरस्कार के लिए विचार किया जाना चाहिए, लेकिन यह तुरंत नहीं दिया जाता है। आमतौर पर कम से कम एक साल का टाइम हो जाता है। इसके बाद 6 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। Chandigarh High court News













