Breaking News: अब तक सोलर पैनल (Solar panel) लगाने की बात आते ही लोगों के दिमाग में घर या फैक्ट्री की छत का ही ख्याल आता था, लेकिन अब तकनीक में बड़ा बदलाव सामने आया है। नई तकनीक के तहत सोलर पैनल अब इमारतों की दीवारों पर भी लगाए जा सकेंगे। इसे बिल्डिंग इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक टेक्नोलॉजी कहा जा रहा है, जो धीरे-धीरे देश और दुनिया में लोकप्रिय हो रही है। इस तकनीक से खासतौर पर शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों को बड़ा फायदा मिलने वाला है, जहां छत की जगह सीमित होती है।
इमारत की सुंदरता बढेगी: नई तकनीक में सोलर पैनल को दीवारों के (Solar panel) डिजाइन का हिस्सा बना दिया जाता है। ये पैनल देखने में सामान्य कांच या टाइल्स जैसे लगते हैं, लेकिन इनमें बिजली बनाने की क्षमता होती है। इन्हें इमारत की बाहरी दीवारों, बालकनी, फसाड और यहां तक कि खिड़कियों के पास भी लगाया जा सकता है। इससे इमारत की सुंदरता भी बनी रहती है और बिजली भी पैदा होती है। खास बात यह है कि इन पैनलों को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि ये तेज धूप के साथ-साथ कम रोशनी में भी ऊर्जा उत्पादन कर सकें।Breaking News
विशेषज्ञों के अनुसार दीवारों पर लगाए जाने वाले सोलर पैनल उन जगहों के लिए(Solar panel) ज्यादा उपयोगी हैं, जहां छत पर पहले से पानी की टंकी, एसी यूनिट या अन्य ढांचे बने होते हैं। इसके अलावा ऊंची इमारतों में रहने वाले फ्लैट मालिक, जिन्हें छत पर पैनल लगाने की अनुमति नहीं मिलती, वे भी इस तकनीक का लाभ उठा सकते हैं। दीवारों पर लगे पैनल सूरज की सीधी किरणों के अलावा दिनभर फैलने वाली रोशनी से भी बिजली बना सकते हैं, जिससे कुल उत्पादन संतुलित बना रहता है।
पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका : इस तकनीक का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह इमारत को गर्मी से भी बचाने में मदद करती है। दीवार पर लगे सोलर पैनल धूप को सीधे दीवार पर पड़ने से रोकते हैं, जिससे अंदर का तापमान कम रहता है और एसी पर होने वाला खर्च भी घट सकता है। लंबे समय में यह तकनीक बिजली बिल कम करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगी।
नही बढेगी लागत’ सरकार की ओर से भी सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए लगातार(Solar panel) नीतियां बनाई जा रही हैं। आने वाले समय में दीवारों पर सोलर पैनल लगाना आम हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे इसकी लागत कम होगी, वैसे-वैसे यह तकनीक मध्यम वर्ग के लिए भी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी और सोलर ऊर्जा का दायरा और ज्यादा बढ़ेगा।
















