Breaking news: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि यदि किसी महिला को उसके पति द्वारा व्यभिचार (Adultery) का दोषी साबित करते हुए तलाक दिया गया है, तो वह आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के अंतर्गत भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकती।
कोर्ट ने कहा:
“CrPC की धारा 125 की उपधारा (4) के अनुसार यदि कोई महिला, जिसकी शादी अभी भी वैध रूप से कायम है, व्यभिचारपूर्ण जीवन जी रही है, तो उसे भरण-पोषण का अधिकार नहीं दिया जा सकता।”
कोर्ट का निष्कर्ष:
जब व्यभिचार प्रमाणित हो चुका हो, तब ऐसी महिला को भरण-पोषण की पात्र नहीं माना जा सकता। CrPC की धारा 125(4) ऐसे मामलों में स्पष्ट रूप से अपात्रता को परिभाषित करती है।
यह निर्णय न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा ने Smt. Reena Bai vs Suresh Kumar [Criminal Revision No. 640/2023] में सुनाया।
















