Liquor Vends Auction: चंडीगढ़ में शराब ठेकों की नीलामी प्रक्रिया में बार-बार रुकावटें आ रही हैं. अब तक चार दौर की नीलामी हो चुकी है, लेकिन अभी भी 11 ठेकों के लिए कोई बोली नहीं लगाई गई है. आबकारी विभाग ने अब इन बचे हुए ठेकों की नीलामी सोमवार यानी 20 मई को करने का फैसला लिया है. Liquor Vends Auction
14 मई की नीलामी में सिर्फ 6 ठेके बिके
पिछली नीलामी 14 मई को हुई थी. जिसमें कुल 17 ठेकों को नीलाम किया जाना था. लेकिन केवल 6 ठेके ही बिक पाए.
इस नीलामी से विभाग को 24.32 करोड़ रुपये के रिजर्व प्राइस के मुकाबले 39.60 करोड़ रुपये की आमदनी हुई.
इससे पहले 8 मई को हुई नीलामी में 21 में से 11 ठेकों की बोली लगी थी. जिससे सरकार को 60.76 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी. जबकि रिजर्व प्राइस 47.97 करोड़ रुपये था.
ठेकेदारों की लापरवाही पर एक्शन
नीलामी प्रक्रिया के बाद सिक्योरिटी मनी जमा न कराने वाले ठेकेदारों और कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है. विभाग ने इन व्यापारियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है और उनके ठेके रद्द कर दिए हैं.
ब्लैकलिस्ट किए गए प्रमुख ठेकों में शामिल हैं:
सेक्टर-20 डी (विजेंदर)
सेक्टर-22 बी 2 और 22 सी 2 (कमल कार्की, अजय महरा)
इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 (निशा कार्की)
मनीमाजरा शिवालिक गार्डन (नीरज शर्मा)
तीसरी नीलामी में भी नहीं मिले इच्छुक बोलीदार
29 अप्रैल को हुई तीसरी नीलामी में 28 ठेकों में से सिर्फ 7 ठेके ही नीलाम हो सके. वहीं 21 अप्रैल को 48 ठेकों की नीलामी रखी गई थी. लेकिन उस दिन भी केवल 20 ठेके बिक पाए. इससे पहले 21 मार्च को हुई सबसे बड़ी नीलामी में 97 में से 96 ठेकों की नीलामी सफल रही थी. जिससे सरकार को 606 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड आमदनी हुई थी.
नीलामी की पारदर्शिता पर उठे सवाल
आबकारी एवं कर विभाग ने इस बार साफ संदेश दिया है कि गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने के बाद सिक्योरिटी मनी न जमा करना पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है.
यही कारण है कि ऐसे व्यापारियों को फ्यूचर बिडिंग से पूरी तरह बाहर कर दिया गया है.
अन्य राज्यों को भी अलर्ट
विभाग ने सिर्फ चंडीगढ़ में ही नहीं. बल्कि अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी निर्देश दिए हैं कि इन ब्लैकलिस्ट किए गए व्यापारियों पर सख्त कार्रवाई करें और उनसे बकाया राशि वसूली के आदेश भी जारी किए जाएं.
क्यों नहीं बिक पा रहे ठेके?
शराब ठेकों की नीलामी में कम रुचि के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:
बढ़ी हुई रिजर्व प्राइस, जिससे संभावित लाभ में कमी
सख्त नियम और शर्तें
आर्थिक अनिश्चितता और बाजार में गिरावट
प्रतिस्पर्धा में पारदर्शिता को लेकर संदेह
सरकार को नीलामी के फॉर्मूले और शर्तों की समीक्षा करनी पड़ सकती है ताकि निवेशकों का भरोसा बहाल किया जा सके.

















