Haryana: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड पिछली परीक्षाओं के दौरान आए तीन से चार आवेदनों के बाद नई पॉलिसी बनाने पर विचार कर रहा है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चों को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड घर के पास ही परीक्षा केंद्र देगा। इसके लिए नई पॉलिसी बनाई जा रही है।
उम्मीद है कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की आगामी 10वीं व 12वीं की परीक्षाओं में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चों को दूर-दराज के परीक्षा केंद्रों पर नहीं जाना पड़ेगा।
प्रदेश में फिलहाल 350 से अधिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चे हैं। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (education news) ने मार्च माह में हुई 10वीं कक्षा की परीक्षाओं में नरवाना के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चे को घर पर ही परीक्षाएं देने की सुविधा दी थी।
शिक्षा बोर्ड ने बदला डाला इतिहास
प्रदेशभर से तीन-चार और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चों के स्वजन बोर्ड कार्यालय पहुंचे और अनुरोध किया। उन अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए अब हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ऐसे बच्चों को घर के पास ही परीक्षा केंद्र की सुविधा देने की नई पॉलिसी बना रही है।
मार्च माह में हुई हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (HSEB) की बोर्ड परीक्षाओं में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चे के लिए बोर्ड ने अपना 54 वर्षों का इतिहास बदला था। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से पीड़ित दसवीं के दिव्यांग छात्र आर्यांश के भविष्य को देखते हुए उसे घर पर ही बोर्ड की परीक्षा देने की सुविधा दी गई थी।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के प्रकार Types of muscular dystrophy
- बायोटिक डिस्ट्रॉफी
- प्रोक्सिवन बायोटिक डिस्ट्रॉफी
- . डिकेन डिस्ट्रॉफी
- बेकर डिस्ट्रॉफी
- अकेलो फेरेंजियल टाइप डिस्ट्रॉफी
- एमर ड्रायफस टाइप डिस्ट्रॉफी
- लिम्ब गर्डल डिस्ट्रॉफी
- पेशियो शेफुल ह्यूमर टाइप डिस्ट्रॉफी
चलने फिरने लायक नहीं होते ऐसे बच्चे
इस बारे में जानकारी देते हुए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. वीपी यादव ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक ऐसी समस्या है, जिसमें पीड़ित बच्चे चलने फिरने लायक भी नहीं होतें यहां से वहां ले जाने में भी उन्हें काफी समस्या होती है यही कारण है कि नरवाना के बच्चे को विशेष अधिकार के तहत घर पर ही परीक्षा का मौका दिया गया थां इसके बाद, कुछ और ऐसे बच्चों के परिजन भी बोर्ड में आए थें
बनाई गई है नई पोलिसी: जिसके बाद तीन-चार और बच्चों के स्वजन भी बोर्ड आए। अब ऐसे बच्चों को ध्यान में रखते हुए नई पॉलिसी बनाई जा रही है। जिसके तहत मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चों को उनके घर के पास ही परीक्षा केंद्र की सुविधा दी जाए। डा. वीपी यादव, चेयरमैन, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी।