Bhai Dooj 2025: आज पंचपर्व दीपावली का अंतिम पर्व, भाई दूज, पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हुए उन्हें पूजा के माध्यम से आशीर्वाद देती हैं। इसके बदले भाई अपनी बहनों को उपहार और आशीर्वाद देते हैं। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन की कथा यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी हुई है। ज्योतिषाचार्य पंडित नवीन कौशिक के अनुसार, भाई दूज कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह से रात 10:58 बजे तक रहेगा, जबकि सबसे उत्तम समय दोपहर 12:48 से 3:28 बजे तक और संध्या काल की गोधूलि बेला में है।
यमराज और यमुना की कथा
भाई दूज के पर्व के पीछे की प्रमुख कथा यमराज और यमुना से जुड़ी है। भगवान सूर्य और छाया माता के दो संतान यमराज और यमुना थे। कथा के अनुसार, माता यमुना अपने भाई को बार-बार घर आने का निमंत्रण देती रहती थीं, लेकिन व्यस्त यमराज हमेशा नहीं आ पाते थे। एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन के आग्रह पर उनके घर पहुंचे। यमुना ने उन्हें स्नान करवाकर तिलक किया और आरती उतारी। इस अवसर पर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि जो बहन अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करेगी, उसके भाई की आयु बढ़ेगी। तभी से भाई दूज का पर्व पूरे भारत में मनाने की परंपरा शुरू हुई।
भाई दूज के दिन क्या करें
भाई दूज के दिन सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान के पानी में गंगाजल या यमुना का जल मिलाना और पूजा की तैयारी करना चाहिए। बहनें गोबर या मिट्टी की बनी दूज की पूजा करती हैं, जिसमें भगवान गणेश और यम देवता का पूजन शामिल होता है। पूजा के बाद भाई को लकड़ी के पाटे पर बिठाकर हल्दी, चावल और रोली से तिलक करें और हाथ में कलावा बांधें। भाई को मिठाई खिलाना और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना भी परंपरा का हिस्सा है। पूजा की थाली को पहले गंगाजल से पवित्र करना चाहिए और उसमें पीतल, कांसा या चांदी की थाली, रोली, चंदन, घी का दीपक, सूखे मेवे, मिठाई और नारियल रखना शुभ माना जाता है। भाई पूर्व दिशा की ओर बैठते हैं और बहनें कलावा बांधते समय अपने इष्ट भगवान का जाप कर सकती हैं।
शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व
भाई दूज के दिन तिलक लगाने और पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। 2025 में भाई दूज के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त दोपहर 12:05 बजे से 2:54 बजे तक है, जबकि अमृत चौघड़िया मुहूर्त 1:30 बजे से 2:54 बजे तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार, दोपहर के समय शुभ चौघड़िया में भाई को तिलक करना और पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है। अमृत चौघड़िया में भाई के हाथों से अन्न-जल ग्रहण करवाना शुभ माना जाता है। यह परंपरा न केवल भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम और विश्वास बढ़ाती है, बल्कि भाई को अकाल मृत्यु और विपत्ति से भी सुरक्षा प्रदान करती है। इस प्रकार भाई दूज का पर्व भाई-बहन के अटूट स्नेह और पारिवारिक रिश्तों की मजबूती का प्रतीक बनकर हर वर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

















